लंदन। एमनेस्टी इंटरनेशन ने भारत में असहिष्णुता बढ़ने की निंदा की है। अपनी रिपोर्ट में इसने कहा है कि भारतीय अधिकारी धार्मिक हिंसा की घटनाओं पर रोक लगाने में विफल हैं। तनाव पैदा करने वाले भड़काऊ भाषण की निंदा करते हुए एमनेस्टी ने कहा है कि बढ़ती असहिष्णुता का शिकार पत्रकार, लेखक, कलाकार और मनवाधिकार कार्यकर्ता होते हैं। इस मानवाधिकार संगठन ने 2015-16 के लिए अपनी सालाना रिपोर्ट में आजादी पर...
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समाज में बुजुर्गों की जगह मत छीनिए--शिवप्रसाद जोशी
हमारा देश पहले भी हैवानियत की दास्तानें देखता और सुनता रहा है. इसी देश में तंदूर कांड भी हुआ था. इसी देश में हर मिनट बलात्कार होते हैं. इसी देश में पत्नी की लाश के टुकड़े-टुकड़े करके उसे फ्रिज में डाल देने की घिनौनी वारदात हुई है. और इसी देश में आज दिख रहा है कि कैसे एक ताकतवर स्त्री दूसरी लाचार स्त्री पर पाशविक अंदाज में हमलावर है. यह...
More »आदिवासी संघर्ष का जख्मी चेहरा- अपूर्वानंद
हिड़मे कौन है? क्या वह लड़का है या लड़की? हिड़मे भारतीय कानों के लिए एक अटपटा शब्द है। सांस्कृतिक-स्मृतिहीन लेकिन परंपराग्रस्त भारतीय माता-पिताओं को उनके पुत्र-पुत्रियों के नामकरण में सहायता करने के लिए हिंदी और अंगरेजी में जो नामावली पुस्तकें छपती हैं, उनमें यह नाम नहीं मिलेगा। हिड़मे का पूरा नाम है कवासी हिड़मे। वह लड़की है। बेहतर हो कहना कि वह युवती है। लड़की से युवती बनने की यात्रा उसने...
More »फंदे में फांसी- विशेष प्रस्तुति(प्रभात खबर)
फांसी की सजा को खत्म करने पर एक बहस दुनियाभर में सालों से चल रही है. भारत में भी मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन की फांसी दिये जाने से पहले 291 प्रतिष्ठित लोगों ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिख कर फांसी रोकने की मांग की थी. भारत उन देशों में शामिल है, जहां फांसी की सजा पर अमल नहीं के बराबर हो रहा है. हालांकि जघन्यतम अपराध के दोषियों में...
More »इमरजेंसी में कई मायनों में हुई थी चूक - जस्टिस राजिंदर सच्चर
जो देश अपने हाल-फिलहाल का इतिहास याद नहीं रखते, वे एक ही तरह की दुर्घटना दोहराने का खतरा उठाते हैं। देश की दो तिहाई आबादी 35 साल से नीचे की है। यदि इनमें से किसी से आपातकाल लगाए जाने के दिन यानी 26 जून, 1975 का महत्व पूछिए तो उनके चेहरे पर आश्चर्य के भाव उभरते हैं। कई बार 55 साल के लोगों से भी ऐसा जवाब नहीं मिलता, जिससे...
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