-सत्याग्रह, कहते हैं कि गोपालदास नीरज जब सार्वजनिक मंचों पर कविता पाठ किया करते थे तो युवाओं के दिल की धड़कनें तेज हो जाती थीं. आज जो हमारी मां हैं मौसी हैं, वे उन दिनों को याद करके खिल उठती हैं जब उनके कॉलेज के मुक्ताकाश मंच पर गोपालदास नीरज अपनी अलहदा अदा में गीत और कविताएं सुनाया करते थे. यह उन दिनों की बात है जब उनके बाल सफेद नहीं...
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जागते रहो
-इंडिया टूडे, घनघोर मंदी के बीच शेयर बाजार की छलांग देखने के बाद एक नवोदित ब्रोकर ने शेयरों-शेयरों का पानी पिए अपने तपे तपाए उस्ताद के केबिन में जाकर खिलखिलाते हुए कहा, ‘‘सर, मजा आ गया, आज तो निफ्टी रॉकेट हुआ जा रहा है.’’ उम्रदराज ब्रोकर ने कंप्यूटर से निगाहें हटाकर कहा, ‘‘लकी फूल’ हो तुम.’’ यानी किस्मती मूर्ख, जो मौके के सहारे मीर (फूल्ड बाई रैंडमनेस) बन जाते हैं और...
More »“मुझे पता नहीं कि भारत देश कितने दिनों तक इस रास्ते पर चलेगा”: साईबाबा को अरुंधति रॉय का पत्र
-न्यूजलॉन्ड्री, सेवा में, प्रोफेसर जीएन साईबाबा अंडा सेल, नागपुर सेंट्रल जेल नागपुर, महाराष्ट्र प्रिय साई, सबसे पहले मैं माफी मांगती हूं कि मैं अरुंधति लिख रही हूं न कि अंजुम. आपने तीन साल पहले उन्हें खत लिखा था, तो निश्चय ही उसे आपको जवाब देना बनता है लेकिन मैं क्या कह सकती हूं- वाट्सएप और ट्विटर की भागमभाग के इस दौर में भी उसके समय की समझ आपकी-मेरी समझ से बिल्कुल अलग है....
More »गरीबों की फिक्र करो
-आउटलुक, महज कुछ महीनों में ही कोविड-19 की महामारी ने समूची दुनिया में उथल-पुथल ला दी। दुनिया भर की सरकारें इस पर काबू पाने मे जुटी हुई हैं। इस संकट में बेरोजगारी बढ़ी है और खाने-पीने और आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई भी बाधित हुई। पूरी दुनिया पर आर्थिक मंदी के बादल मंडरा रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में लोगों का निराश होना स्वाभाविक है। फिर भी यह वक्त मानव जीवन-शैली पर चिंतन...
More »सैन्य कार्रवाई के डर से 10 हज़ार से ज़्यादा रोहिंग्या फिर घर छोड़कर भागे, 40 गांव ख़ाली
-एशियाविल, खाइन प्रांत के सुरक्षा एवं सीमा मामलों के मंत्री द्वारा पिछले शुक्रवार को आदेश रद्द किए जाने के बाद भी पिछले पूरे हफ्ते तक 40 से अधिक गांवों से पलायन जारी रहा. पश्चिमी म्यामार के उस इलाक़े से हज़ारों लोग बीते एक हफ़्ते से अपना गांव-घर छोड़कर भाग रहे हैं, जहां सरकार और नस्ली विद्रोहियों के बीच संघर्ष चल रहा है. सैन्य कार्रवाई के डर से रोहिंग्या समुदाय के लोगों का...
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