- डाउन टू अर्थ, “यहां कोरोना संक्रमण से क्या बचाव करें ? हम जांच और पूरी सुरक्षा के साथ किसी तरह भी अपने अपने घर लौटना चाहते हैं। यहां काम कुछ बचा नहीं है। न बाहर से सब्जियों के वाहन आ रहे हैं और न ही खरीदार। पहले व्यस्त दिनों में 700 से 800 रुपये तक कमा लिए करते थे, इन दिनों 100-150 रुपये तक मिलना मुश्किल हो गया है।” करीब...
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कोरोना के प्रकोप से बचने के लिए 'वर्क फ्रॉम होम' जैसे उपाय भारतीय श्रमिकों के लिए नहीं हैं मददगार
साल 2020 से पर्दा उठते ही इसके शुरुआती जनवरी महीने में चीन जैसी महाशक्ति को COVID-19 के व्यापक प्रकोप से झूझते हुए पाया, जोकि कुछ दिनों के भीतर ही वैश्विक स्तर पर फैल गया. COVID-19 की तीव्र प्रसार क्षमता के अध्ययन के बाद, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बाकी की आबादी के बीच तेजी से इसके प्रसार को रोकने के लिए कुछ तरीके सुझाए हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इंटरनेट कनेक्टिविटी के युग...
More »भारत बंदः ट्रेड यूनियन क्यों कर रहे हैं आज हड़ताल?
केंद्र सरकार की 'श्रमिक विरोधी नीतियों' के खिलाफ़ बुधवार को मजदूर यूनियनों ने देशव्यापी बंद का ऐलान किया है. दावा है कि हड़ताल में करीब 25 करोड़ लोग हिस्सा लेंगे. मजदूर यूनियनों का आरोप है कि सरकार श्रम कानून में बदलाव करके उनके अधिकारों का हनन कर रही है और लेबर कोड के नाम पर मौजूदा व्यवस्था को पूरी तरह ख़त्म किया जा रहा है. ट्रेड यूनियनों की प्रमुख मांगों में बेरोजगारी,...
More »NRC को पूंजीवादी दृष्टि से भी देखा जाना चाहिए
एनआरसी को अभी तक सिर्फ़ कम्युनल और संवैधानिक दृष्टि से ही देखा गया है। एनआरसी पूंजीवादी के कितना काम आ सकता है, किस तरह काम आ सकता है इस पर भी एक नज़र डाल लेना चाहिए। क्योकि पूंजीवादी जब फासीवाद को अपना हथियार बना लेता है तो दमन और क्रूरता के सारे पुराने मापदंड टूट जाते हैं।इसे समझना हो तोलोकल इंटेलिंजेंस यूनिट के हवाले से लिखी गई अमर उजाला की...
More »जीरो बजट कृषि का विचार नोटबंदी की तरह घातक है- राजू शेट्टी
शून्य बजट प्राकृतिक कृषि को लेकर एक स्वाभाविक आकर्षण है क्योंकि यह कृषि जैसे मुश्किल व्यवसाय को सरलता से प्रकट करता है। शून्य बजट प्राकृतिक कृषि में जोखिम कम होता है और पूंजी की आवश्यकता नहीं के बराबर होती है। इसे विदर्भ के किसान नेता सुभाष पालेकर द्वारा गढ़ा गया है जिन्हें 2016 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। शून्य बजट प्राकृतिक कृषि को वैसा ही स्थान मिला...
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