भारत में केंद्र और राज्य सरकार अपने लोक-कल्याण कार्यक्रमों पर काफी ज्यादा खर्च करती हैं, लेकिन इन कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में कई कमजोरियां हैं। प्रशासनिक लागत, लीकेज (रिसाव) और लाभार्थियों की पहचान में गलतियों को जोड़कर सरकारी आंकड़े खुद बताते हैं कि योजनाओं पर खर्च होने वाली रकम का बड़ा हिस्सा लाभार्थियों तक नहीं पहुंचता है। कई प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने यह सुझाव दिया है कि भारत में गरीबी कम करने की...
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ताकि वे अपनी पसंद से खरीदें अनाज- कार्तिक मुरलीधरन
सस्ते दामों पर राशन का सार्वजनिक वितरण (पीडीएस) भारत की प्रमुख खाद्य सुरक्षा योजना है, लेकिन यह कई जानी-पहचानी समस्याओं से घिरी है। सरकारी एजेंसियों का ही आकलन है कि पीडीएस पर सरकारी खर्च का एक बड़ा हिस्सा उचित लाभार्थियों तक नहीं पहुंचता। इसके चलते, एक विकल्प सामने आया कि क्यों न इस सब्सिडी युक्त अनाज की जगह लाभार्थियों को (खाद्य पदार्थों पर खर्च करने के लिए) सीधा पैसे भेजे...
More »बदल रही है परहिया समुदाय की जिंदगी
लातेहार जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर औरंगा नदी के किनारे स्थित है उचुवाबाल. यह मनिका प्रखंड की रॉकी कलां पंचायत के लंका गांव का टोला है. इस टोले में परहिया समुदाय के 80 परिवार हैं. उनकी जीविका का एकमात्र जरिया हैं जंगल की उपज. इन वनोत्पादों को एकत्र करना और उन्हें बाजार में बेचना यही उनके आर्थिक जीवन का आधार है. इसके अलावा उच्च जाति के लोगाों के...
More »गरीबों में राशन दुकानों से सस्ती दर पर दाल बांटने की तैयारी
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। गरीबों में राशन दुकानों से सस्ती दर पर दाल बांटने की तैयारी की जा रही है। इस बारे में उपभोक्ता व खाद्य मंत्रालय कैबिनेट नोट तैयार कर रहा है। सरकारी स्टॉक में फिलहाल 55 लाख टन दालें पड़ी हुई हैं, जिन्हें बाजार के हिसाब से अधिक मूल्य पर खरीदा गया है। अगर उसे खुले बाजार में बेचना पड़ा तो भारी घाटा उठाना पड़ेगा। घाटे के इस...
More »'बीते एक साल में 20 लोगों की भुखमरी से मौत, सभी वंचित तबके के'-- रोजी रोटी अधिकार अभियान
उत्तर कर्नाटक के नारायण, झारखंड के रूपलाल मरांडी, बरेली की सफीना अशफाक और ओड़ीशा के कुंदरु नाग के बीच क्या समानता हो सकती है ? शायद, कोई नहीं- सिवाय इसके कि ये सभी समाज के वंचित वर्ग के हैं और इन सबकी मौत पिछले एक साल के दौरान भुखमरी के कारण हुई तथा इन सभी को एक ना एक कारण से पीडीएस से अनाज नहीं मिल सका.(पिछले एक साल के...
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