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कैसे उड़ीसा में बीज बैंक जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं

इंडियास्पेंड, 16 मार्च उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से करीब 150 किमी पश्चिम में रायसर नाम की एक छोटी सी बस्ती में रहने वाले 45 वर्षीय दुर्ज्यधन जानी के लिए पिछले तीन साल काफी रोमांचित करने वाले रहे हैं। उनके लिए यह एक ऐसा समय है, जैसे वह अपने बचपन में जी रहे हैं। एक बच्चे के रूप में उन्होंने अपने परिवार को जैविक खेती करते हुए देखा था, लेकिन दो दशक...

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पोषक अनाजों की खेती:- वर्तमान और भविष्य

पोषक अनाजों की अहमियत को समझते हुए भारत सरकार ने खाद्य और कृषि संगठन के सामने एक प्रस्ताव रखा था। नतीजन पूरी दुनिया, वर्ष 2023 को, अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मना रही है।भारत,दुनिया में पोषक अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादनकर्ता है। साल 2020 में विश्व के कुल उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 41 फीसदी के आस–पास थी। पढ़िए इस लेख में पोषक अनाजों पर विस्तार से; प्राचीन...

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बेमौसमी बढ़ती गर्मी से फसलों को बचा सकता है बायोचार, वैज्ञानिकों ने बताया तरीका

डाउन टू अर्थ, 24 फरवरी  वैज्ञानिकों का मानना है कि ‘बायोचार’ सदियों से लोगों द्वारा उपयोग की जाने वाली एक पारंपरिक कृषि पद्धति रही है। कृषि और पेड़ों का कचरा जैसे कार्बनिक पदार्थों को जलाने से बना चारकोल जैसे पदार्थ को बायोचार कहते हैं। वैज्ञानिकों ने जलवायु-स्मार्ट कृषि (सीएसए) अभ्यास के रूप में इसकी क्षमता का विश्लेषण करने के लिए बायोचार पर दुनिया भर के लगभग 600 अध्ययनों में व्याप्त आंकड़ों को...

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कितने काम की है बेमौसमी गर्मी से जूझते किसानों को 'अतिरिक्त सिंचाई' की सलाह?

डाउन टू अर्थ, 23 फरवरी  फरवरी माह में पड़ अप्रत्याशित गर्मी को देखते कृषि वैज्ञानिक किसानों को एक अतिरिक्त सिंचाई की सलाह दे रहे हैं। इससे जहां भूजल स्तर को लेकर चिंता जताई जा रही है, वहीं वे किसान अधिक परेशान हैं, जहां सिंचाई के इंतजाम हैं ही नहीं। डाउन टू अर्थ ने पंजाब और मध्य प्रदेश के कुछ किसानों से बात की। पंजाब के जालंधर जिले के किसान दो दिन से...

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बजट में कृषि क्षेत्र के लिए आवंटन वास्तविक अर्थों में 2 साल में कम हुआ, सिंचाई को भी तवज्जो नहीं

रूरल वॉयस , 14 फरवरी सबसे पहले सुर्खियां। वित्त वर्ष 2023-24 के आम बजट में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय का आवंटन 2022-23 के 1.24 लाख करोड़ रुपए के बजट अनुमान से घटाकर 1.15 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है। महंगाई को समायोजित करें तो बीते 2 वर्षों के दौरान वास्तविक अर्थों में आवंटन कम हुआ है। दूसरी सुर्खी- कृषि के लिए महत्वपूर्ण सिंचाई की पूरी तरह अनदेखी की गई...

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