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किसानी का तीर्थ बनता तिउसा गांव --- बाबा मायाराम

महाराष्ट्र का एक गांव है तिउसा। यवतमाल से सोलह किलोमीटर दूर। यह गांव किसानों के लिए तीर्थ बन गया है। तीर्थ जहां कुछ अच्छाई है, किसान जहां अपना भविष्य देख रहे हैं। यहां बड़ी संख्या में किसान आ रहे हैं। खेती-किसानी की बारीकियां सीख रहे हैं। यहां के प्रयोगधर्मी किसान सुभाष शर्मा कई मायने में अनूठी खेती कर रहे हैं, जिसे वे सजीव खेती कहते हैं।     हाल ही मैं अपने कुछ...

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मुआवजा देना किसानों की खुदकुशी का हल नहीं, योजनाएं अमल में लाएं: SC

नई दिल्ली.देशभर में किसानों की खुदकुशी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ मुआवजा देना परेशानी का हल नहीं है। सरकार को लोन के असर को कम करने की जरूरत है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट सरकार के खिलाफ नहीं है, किसान आत्महत्या का मसला रातोंरात नहीं सुलझाया जा सकता। गुरुवार को चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़...

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और भी गम हैं जीएसटी के सिवा - मृणाल पाण्डे

जबर्दस्‍त सरकारी तामझाम के साथ जीएसटी का आगाज़ हो चुका है। इस वक्‍त भले ही हर जगह जीएसटी को लेकर चर्चा छिड़ी हो, पर तय है कि देश 2017 द्वारा विमोचित कुछ अन्य बडी चुनौतियों की चर्चा से काफी महीनों तक बरी नहीं हो पायेगा| मसलन स्वयंभू (कम से कम सरकार तो यही कह रही है) गोरक्षकों की देश भर में अल्पसंख्यकों के खिलाफ चलाई जा रही अंधी हिंसा की...

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शिक्षा व्यवस्था और चिंतन-- सय्यद मोबीन जेहरा

इन दिनों बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों में प्रवेश को लेकर भागदौड़ मची हुई है. बारहवीं की परीक्षा अच्छे नंबरों से पास करनेवाले बच्चे तक ऐसे परेशान घूम रहे हैं, जैसे दो-चार अंक कम लाकर उन्होंने कोई अपराध कर दिया हो. कई ऐसे भी बच्चे मिले जिनका यह दावा है कि उन्हें किसी एक विषय में जितने अंक मिलने चाहिए थे, वे नहीं मिले हैं, लेकिन स्नातक में प्रवेश की चिंता में वे...

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असली कर्जदार कौन है?-- योगेन्द्र यादव

मंदसौर गोलीकांड को एक महीना हो गया. इस एक महीने में किसान के सवाल पर देश में संवेदना उभरी, कुछ समझ भी बनी. खुद किसान का संघर्ष मजबूत हुआ, एक संकल्प भी बना. लेकिन, क्या इस संवेदना और संघर्ष से कोई समाधान निकलेगा? पिछले एक महीने में किसान के सवाल पर जितनी चर्चा मीडिया में हुई, उतनी पिछले दस साल में नहीं हुई होगी. कम-से-कम अखबार पढ़नेवाले और टीवी...

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