SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 713

दिल्ली की बेमौसम धुंध और पंजाब के हार्वेस्टर

नवम्बर महीने की शुरुआत से दिल्ली और उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से को धुएं और कुहासे के मेल से बने धुंधलके की एक मोटी परत ने घेर रखा है और इस बात पर तीखी बहसें हो रही हैं कि दिल्ली में वायु-प्रदूषण का स्तर किन कारणों से बढ़ रहा है। साल 2012 के जनवरी महीने में भारतीय सांख्यिकी संस्थान की ऋद्धिमा गुप्ता की रिपोर्ट आई और इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश...

More »

प्रतिरोध का कारवां- भारत डोगरा

जनसत्ता 7 नवंबर, 2012: यूपीए सरकार ने जिस तरह खुदरा कारोबार में विदेशी निवेश को आगे बढ़ाने की जिद पकड़ी है उसकी ठीक ही व्यापक आलोचना हुई है। कोई ठोस प्रमाण दिए बिना ही सरकार ने कह दिया कि इससे बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होगा, जबकि हकीकत इसके विपरीत है। कुछ समय के लिए खुदरा में बहुराष्टÑीय कंपनियों का प्रवेश जरूर चकाचौंध उत्पन्न कर सकता है, पर शीघ्र ही यह स्पष्ट...

More »

भारत और आसियान के बीच कृषि व्यापार की बेहतर संभावनायें .. रावत

नयी दिल्ली, 18 अक्तूबर :भाषा: कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री हरीश रावत ने भारत और दक्षिण पूर्व एशियायी क्षेत्रीय समूह के देशों के बीच व्यापार का उचित मॉडल तैयार किये जाने पर जोर देते हुये कहा कि दोनों क्षेत्रों के बीच कृषि व्यापार के विस्तार की बड़ी संभावनायें हैं। भारत..आसियान क्षेत्र कृषि उत्पाद व्यापार पर राजधानी में चल रहे सम्मेलन एवं प्रदर्शनी के एक सत्र को संबोधित करते...

More »

विस्थापन का विकास- भारत डोगरा

हमारे देश में विकास के मौजूदा दौर में विस्थापन की समस्या बहुत विकट हो गई है।  एक ओर पहले हुए विस्थापन से त्रस्त लोगों को अभी न्याय नहीं मिल पाया है, तो दूसरी ओर उससे भी बड़े पैमाने पर किसान और विशेषकर आदिवासी किसान नए सिरे से विस्थापित हो रहे हैं। हाल ही में जन सत्याग्रह संवाद के कार्यक्रम के अंतर्गत देश के लगभग साढ़े तीन सौ जिलों में भूमि संबंधी...

More »

हमारे लोकतंत्र का संकट- शिवदयाल

जनसत्ता 16 अक्टुबर, 2012: दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, सवा अरब लोगों का। छह-सात प्रतिशत की दर से बढ़ती अर्थव्यवस्था। पर इसकी अधिकांश आबादी को अब तक ‘ट्रिकल डाउन’ यानी अमीरों के उपभोग से रिस कर मिलने वाले लाभ का ही आसरा है। छीजते जाते संसाधन, बिगड़ता जाता पर्यावरण, जलावतनी और विस्थापन, एक-दूसरे को काटती और खारिज करती पहचानें, लगभग एक-तिहाई से भी अधिक भूभाग सैन्यबलों के भरोसे, और इतने पर भी धन...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close