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'यह वह छत्तीसगढ़ तो नहीं जिससे मुझे इतना गहरा लगाव रहा है'-- इलिना सेन

- इलिना सेन (सामाजिक कार्यकर्ता और डॉ बिनायक सेन की पत्नी ) आज, एक तरफ मैं बहुत खुश हूं और राहत की सांस ले रही हूं कि इस कठिन परीक्षा का यह हिस्सा लगभग समाप्त हो गया है. वहीं दूसरी ओर मैं बहुत बेचैन भी हूं- हमने देखा है कि राज्य का व्यवहार कितना शत्रुतापूर्ण रहा है. लेकिन हमने जिस तरह का जीवन बिताया है, न तो उसके बारे में कोई...

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अफसर चाहते हैं भ्रष्टाचार : राजेश दुबे

भोपाल. ‘मप्र में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी है। लगभग हर दुकान पर रिश्वतखोरी और कालाबाजारी का बोलबाला है। बिना रिश्वत दिए यहां कोई काम नहीं होता। अपने फायदे के लिए नौकरशाह भी चाहते हैं पीडीएस में भ्रष्टाचार चलता रहे।’ यह टिप्पणी किसी विपक्षी दल की नहीं है बल्कि पीडीएस की छानबीन के लिए सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर बनी एक सदस्यीय जस्टिस डीपी वाधवा कमेटी की है। कमेटी ने सितंबर...

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मुआवजे की आग में जल रहा है पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दो किसानों सहित चार की मौत- विजय उपाध्याय

लखनऊ/ग्रेटर नोएडा। उत्तर प्रदेश में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ फूटा किसानों का आक्रोश ग्रेटर नोएडा से शुरू होकर अलीगढ़, मथुरा और आगरा तक पहुंच गया है। ग्रेटर नोएडा में सुरक्षा बलों के साथ झड़प में मरने वालों की संख्या चार हो गई है। उधर किसानों से सहानुभूति जताने भट्टा परसौल गांव जा रहे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष नितिन गडकरी और राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजीत सिंह को पुलिस ने...

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गोदाम अनाज से भरे फिर भी भूख से मौतें क्यों?: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली. देश में भूख से मौतों के बढ़ते मामलों से सुप्रीम कोर्ट चिंतित है। उसने केंद्र से पूछा है कि जब अनाज के गोदाम लबालब भरे हैं। बंपर फसल भी हुई है। फिर भी देश में भुखमरी के मामले क्यों बढ़ रहे हैं। साथ ही शीर्ष कोर्ट ने गरीबी की रेखा से नीचे के लोगों (बीपीएल)की संख्या हर राज्य में केवल 36 फीसदी मानने पर भी योजना आयोग को कड़ी फटकार लगाई।...

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महिला सशक्तिकरण का यक्ष प्रश्न- डॉ. ऋतु सारस्वत

नई दिल्ली [डॉ. ऋतु सारस्वत]। भारत अपनी स्वतंत्रता के छह दशक बिता चुका है और इन वर्षो में भारत में बहुत कुछ बदला है। विश्व के सबसे मजबूत गणतंत्र में सभी को अपनी इच्छा से जीने, सोचने और अपने विचारों को अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता मिली है, जिसका हम उपभोग भी कर रहे हैं। हालाकि एक वर्ग ऐसा भी है जो आज भी इस सुखानुभूति से वंचित है और वह...

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