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योग ग्लैमरस है, ग़रीब की मौत नहीं?- कुमार केतकर

मौत में कोई ग्लैमर नहीं होता. ख़ासकर ग़रीब झुग्गीवालों की मौत में. मुंबई में झुग्गीवाले भी रहते हैं और करोड़पति भी. आमतौर पर दोनों फ़िल्मों को छोड़कर कहीं और नहीं मिलते. लेकिन यहाँ ऐसे भी माफ़िया करोड़पति भी हैं जो मुंबई की बड़ी झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले अभागे ग़रीबों पर फलते-फूलते हैं. मुंबई की झुग्गियों में 50 लाख से ज़्यादा लोग रहते हैं. इनकी जीवन शैली सहारा मरुस्थल के देशों या सोमालिया...

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खुले में शौच करने पर होगा 50 रुपए जुर्माना, सूचना देने पर 20 रुपए इनाम

नारायणपुर। मरदेल में कोई भी व्यक्ति खुले में शौच जायेगा तो उससे 50 रुपए का जुर्माना ग्रामीणों के द्वारा लिया जायेगा और इसकी सूचना देने वाले को 20 रुपए का इनाम दिया जायेगा। ग्रामीणों ने इसके लिए एक निगरानी समिति का गठन किया है जो नियमित रूप से खुले में शौच करने की प्रवृत्ति को रोकने निगरानी रखेगी। पंचायत पदाधिकारियों और ग्रामीणों ने खुले में शौच नहीं करने सहित गांव को...

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अस्तित्व बचाने को जूझ रहीं "सभ्यता की जननी"

हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। जिनके आंगन में हजारों वर्षों से मानव सभ्यता फली-फूली, वे ही अपना अस्तित्व" बचाने को संघर्ष कर रहीं हैं। "सभ्यता की जननी" नदियों की हकीकत आज कुछ ऐसी ही है। जो हाल गंगा-यमुना का है वैसी पीड़ा में देश की 275 नदियां हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि जीवनदायिनी नदियों की हालत सुधरने के बजाय बदतर हो रही है। इनको निर्मल और अविरल बनाने की राह...

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'ना खाऊंगा ना खाने दूंगा' का क्या हुआ- आकार पटेल

खाऊंगा ना खाने दूंगा', प्रधानमंत्री मोदी ने अपने चुनाव अभियान में हमसे यही वादा किया था. भ्रष्टाचार उनका सबसे अहम मुद्दा था. यानी ना वो ख़ुद भ्रष्ट होंगे ना अपने इर्द-गिर्द भ्रष्टाचार होने देंगे. भ्रष्टाचार के मामलों में उनकी निजी ईमानदारी को लेकर मुझे कोई शक़ नहीं है. मैं मोदी को व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ और मैं उन्हें ऐसे आदमी के रूप में नहीं देखता जो क़ायदे-क़ानूनों में ढील या...

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अंत्योदय योजना खतरे में - ज्यां द्रेज

गरीब-विरोधी होने की धारणा से भले ही मोदी सरकार लड़ने का दावा कर रही हो, मगर अंत्योदय अन्य योजना को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली से चरणबद्ध तरीके से बाहर निकालने का फैसला कर उसने गरीबों को एक बड़ा झटका दिया है। यह कदम अन्यायपूर्ण और अवैध है।   अंत्योदय योजना के तहत गांवों के अत्यधिक गरीब परिवारों को 35 किलो खाद्यान्न नाममात्र की कीमतों (चावल तीन रुपये प्रति किलो और गेहूं दो...

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