रायपुर। छत्तीसगढ़ में चालू विपणन मौसम के दौरान अब तक आठ हजार क्विंटल से अधिक धान की खरीददारी हुई है। राज्य में खरीफ मौसम की यह खरीददारी इस महीने की पाच तारीख से शुरू हुई है। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यहा बताया कि राज्य सरकार द्वारा किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य दिलाने के लिए लगभग साढ़े तीन माह तक चलने वाला विशेष खरीद अभियान पाच नवंबर...
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भारत और इंडिया का फर्क- सुनील खिलनानी
हमारा यह कहना सही है कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान और वैश्विक कारोबार में अपनी ऐतिहासिक हिस्सेदारी को फिर से प्राप्त कर रहा है। लेकिन इसके साथ-साथ कुछ अन्य अहम तथ्यों पर गौर करने की जरूरत है। उदाहरण के लिए, गरीबी खत्म करने, जनकल्याण के लिए कुछ मूलभूत सुविधाएं जुटाने और नए खतरों को कम करने की क्षमता अब हमारे भीतर है। यह क्षमता होने के बावजूद हमने...
More »कौन ठगवा जमीनिया लूटे हो...
जैसा कि एक प्रसिद्ध रिपोर्ट एवरी थर्टी मिनटस्- फार्मर्स स्यूसाईडस्, ह्यूमन राईटस् एंड द एग्रीगेरियन क्राईसिस इन इंडिया के शीर्षक से जाहिर है- भारत में खेतिहर-संकट के कारण हर तीसवें मिनट पर एक किसान आत्महत्या को मजबूर है। उड़ीसा में बोलंगीर जिले के पटनागढ़ प्रखंड के गांव घूमर में गुजरे सितंबर महीने में एक किसान लिंगराज साहू की मौत हुई। क्या लिंगराज साहू की मौत को कोई रिपोर्ट आत्महत्या की श्रेणी में गिन सकती है? लिंगराज साहू...
More »गरीबों की गिनती का सच : हर्ष मंदर
मानवीय अस्मिता के साथ जीवन बिताने के लिए किसी गरीब व्यक्ति को कितने पैसे की जरूरत हो सकती है? हम जिस समय में जी रहे हैं, उसमें ऐसा कभी-कभार ही होता है कि अखबारों के फ्रंट पेज और खबरिया चैनलों के प्राइम टाइम बुलेटिनों में यह सवाल सुर्खियों में आया हो। यह भी आम तौर पर नहीं होता कि इस पहेली ने मध्यवर्ग की चेतना को चुनौती दी हो। लेकिन जब...
More »'आरटीआई संज्ञा नहीं अब क्रिया हो गई है' दैनिक हिन्दुस्तान के विशेष संवाददाता श्याम सुमन की प्रस्??
देश के इतिहास में आरटीआई ऐक्ट एक ऐसा कानूनी दस्तावेज है, जो जनता का राज सुनिश्चित करता है। इस कानून ने नागरिकों को अधिकारों से लैस किया है, जिससे सरकारी तंत्र की नींद टूटी है और उसे जनता के प्रति अपनी जवाबदेही का अहसास हुआ है। लेकिन इन अधिकारों से अब सरकार कुछ परेशान-सी दिख रही है और सरकार में यह मत बनने लगा है कि इस कानून की समीक्षा...
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