SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 569

किसान महापंचायत को मिला जनसमर्थन

पटना विभिन्न दलों से जुड़े नेताओं ने किसान महापंचायत को जनसमर्थन मिलने का दावा किया है, जबकि जदयू नेताओं ने इसे फ्लाप करार दिया है। पूर्व मंत्री राघवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि किसान महापंचायत किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ शंखनाद है। अब यह स्पष्ट हो गया कि समाज को तोड़ने वालों को जनता बर्दाश्त नहीं करेगी। बिहार यूथ फ्रंट के अध्यक्ष शंकर पटेल और राजद नेता शशि भूषण पांडेय,लोजपा नेता मनोज शुक्ला और जदयू नेता व्यंकटेश...

More »

डाकिया डाक लाया- रस्किन बांड

देश के सुदूर ग्रामीण इलाकों और एकांत पहाड़ों पर, जहां ऐसी सड़कें नहीं हैं कि गाड़ियां आ-जा सकें, वहां आज भी डाकिए पैदल चलकर डाक पहुंचाने जाते हैं। वे प्रतिदिन पांच-छह मील पैदल चलते हैं। सच है कि वे पुराने हरकारों की तरह दौड़ते नहीं और रास्ते में कभी-कभार चाय पीने या ताश खेलने के लिए रुक भी जाते हैं, लेकिन ये डाकिए आज भी पुराने जमाने के हरकारों की याद दिलाते हैं। डाकियों ने हमेशा...

More »

जनजीवन पर बुरा असर डाल रहा क्रशर

डोमचांच (कोडरमा)। भीषण वायु प्रदूषण के संकट से जूझ रहे हैं डोमचांचवासी। स्टोन चिप्स के धूल के कारण डोमचांच एवं इसके आसपास क्षेत्र के पेड़-पौधे व जंगलों का भीषण विनाश हो रहा है तथा लोग श्वांस और टीबी संबंधी बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। वायु प्रदूषण का मुख्य कारण यहां पर नीरू पहाड़ी से लेकर पुरनाडीह तक दस किमी क्षेत्र में फैले सैकड़ों क्रशर मिलों से उड़ने वाला धूलकण है। सड़क के किनारे दोनों...

More »

वनक्षेत्र में धड़ल्ले से हो रहा पत्थरों का अवैध उत्खनन

डोमचांच (कोडरमा)। नीरू पहाड़ी से पांच किमी उत्तर ढोढाकोला रोड में कुबड़ी घाटी मोड़ से तीन किमी बायी ओर (पश्चिम) जाने वाली कच्ची सड़क जो घनघोर जंगलों को चीरकर सीधा समसिहरिया एवं हदहदवा में पत्थरों का अवैध उत्खनन धड़ल्ले से हो रहा है। रिजर्व फारेस्ट के अंतर्गत पड़ने वाले इन माइंस में विगत 8-10 वर्षो से उत्खनन का काम हो रहा है जिसमें प्रतिदिन दर्जनों शक्तिमान बोल्डर स्थानीय क्रशर मिलों को आपूर्ति की जा रही...

More »

जंगल से कटकर सूख गये मालधारी- शिरीष खरे

एशियाई शेरों के सुरक्षित घर कहे जाने वाले गिर अभयारण्य में बरसों पहले मालधारियों का भी घर था. ‘माल’ यानी संपति यानी पशुधन और ‘धारी’ का मतलब ‘संभालने वाले’. इस तरह पशुओं को संभाल कर, पाल कर मालधारी अपनी आजीविका चलाते थे. एक दिन पता चला कि अब इस इलाके में केवल शेर रहेंगे. फिर धीरे-धीरे मालधारियों को उनकी जड़ों से उखाड़कर फेंकने का सिलसिला शुरु हुआ. जंगल में मालधारी आज की...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close