विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम यांग किम ने कहा है कि वर्ष 2030 तक विश्व से अतिगरीबी समाप्त हो जायेगी. ध्यान दें, शब्द ‘अतिगरीबी' है न कि गरीबी. गरीबी बढ़े और अतिगरीबी घटे ये साथ-साथ चल सकते हैं. जैसे एक भूखे बच्चे को एक रोटी दे दी जाये और गांव के सौ बच्चों को मिली दो रोटी में से एक छीन ली जाये, तो भूखे बच्चे की अतिगरीबी समाप्त हो...
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आठ महीने के ऊंचे स्तर पर पहुंची खुदरा महंगाई
नई दिल्ली। महंगाई के मोर्चे पर आम लोगों के साथ ही सरकार की परेशानी बढ़ गई है। इस साल जून में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 5.4 फीसद पर पहुंच गई। यह इसका आठ माह का उच्चतम स्तर है। मई में खुदरा कीमतों के आधार पर मापी जाने वाली महंगाई की यह दर 5.01 फीसद थी। सरकार की ओर से गुरुवार को खुदरा मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आंकड़े जारी किए गए। रिजर्व...
More »सांसदों के वेतन-भत्ते का सवाल - ए. सूर्यप्रकाश
इन खबरों के बाद अपने सांसदों पर निगाह जाना स्वाभाविक है कि वे एक बार फिर अपनी वेतनवृद्धि हेतु आधार तैयार कर रहे हैं। इस तरह के प्रयास के लिए मीडिया में उनकी आलोचना हो रही है। सांसदों के वेतन-भत्ते में बढ़ोतरी की जब भी बात होती है तो इस तरह की बातें होने की कई वजहें होती हैं। इनमें से कुछ पर नजर डालना जरूरी है। इस तरह वेतन-भत्ते...
More »पानी का संकट पहल का इंतजार
उत्तर भारत, खासकर पंजाब, हरियाणा और दिल्ली की धरती के नीचे का जल-स्तर गिरता जा रहा है। नासा की हालिया रिपोर्ट में इस बात की तस्दीक की गई है कि बढ़ते शहरीकरण और सिंचाई पर ज्यादा निर्भरता के कारण भारत गंभीर जल संकट की तरफ बढ़ चला है। जिंदगी के लिए जरूरी जल-संसाधन के गहराते संकट पर संजय शर्मा की प्रस्तुति कुएं भले ही अतीत की चीज हो गए हैं, लेकिन...
More »कहां है सुधारों की अगली खेप-- रामचंद्र गुहा
सन 2009 के आम चुनाव के ठीक बाद मैंने बेंगलुरु में एक भाषण सुना, जो नई सरकार के लिए नीतियों के नए रोडमैप पर था। वक्ता थे राकेश मोहन, जो उद्योग व वित्त मंत्रालय में वरिष्ठ पदों पर रह चुके थे और उस वक्त रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर थे। राकेश मोहन का कहना था कि आर्थिक सुधारों की पहली लहर ने व्यापार को सरकारी नियंत्रण से बाहर निकाला और...
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