नयी दिल्ली : नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने कहा है कि देश के दक्षिणी और पश्चिमी राज्य तेजी से प्रगति कर रहे हैं, लेकिन बिहार, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के कारण देश पिछड़ा बना हुआ है. जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में प्रथम अब्दुल गफ्फार खान स्मारक व्याख्यान के दौरान कांत ने कहा, ‘‘बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों के...
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बिहार : किफायती आवास के लिए अभी करना होगा इंतजार..
ठंडे बस्ते में योजना, नहीं बढ़ पा रहा काम, स्लम के पुनर्विकास के प्रोजेक्ट भी नहीं हुए चिह्नित पटना :शहरी निकायों में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर व निम्न आय वर्ग लोगों को किफायती आवास उपलब्ध कराने की योजना ठंडे बस्ते में है. बिहार सरकार की किफायती आवास और मलिन बस्ती (स्लम) पुनर्वास एवं पुनर्विकास आवास नीति 2017 लागू होने के बाद भी इस वर्ग के लोगों को योजना...
More »कृषि अर्थशास्त्र मानसून से आगे-- देविन्दर शर्मा
सबसे पहले अच्छी खबरें। लगातार तीसरे साल मानसून के सामान्य रहने की संभावना है। ‘भारतीय मौसम विज्ञान विभाग' ने यह भविष्यवाणी की है कि आने वाले दिनों में चौतरफा अच्छी बारिश होगी और पूरे मानसून सीजन में 97 फीसदी बारिश होगी। लेकिन बात यहीं पूरी नहीं हो जाती। हमें मौसम विज्ञानियों पर भरोसा है, मगर कई स्वाभाविक कारणों से सामान्य से कम वर्षा की 44 प्रतिशत आशंकाएं भी हैं। पिछले...
More »तेल पर मिलकर चलने को तैयार - सुषमा रामचंद्रन
हाल ही में ऐसे संकेत मिले हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से निपटने के लिए भारत और चीन मिलकर प्रयास कर सकते हैं। यदि ऐसा है तो यह निश्चित ही स्वागतयोग्य घटनाक्रम है। इसका मतलब है कि आर्थिक हितों को तवज्जो देते हुए विदेश नीति में अब कहीं ज्यादा व्यावहारिक रवैया अपनाया जा रहा है। दुनिया में अमेरिका के बाद भारत और चीन कच्चे तेल...
More »समावेशी विकास के प्रतिमान-- अनंत कुमार
भारत की अलौकिक सुंदरता इसकी संस्कृतियों, परंपराओं, लोगों, प्राकृतिक दृश्यों, भाषाओं आदि की विविधता में निहित है. इसका विशाल विस्तार भी ऐसी चुनौतियां प्रस्तुत करता है, जो केवल इस देश के लिए विशिष्ट हैं. अत: इन विविध चुनौतियों से निपटने के लिए ऐसे उपायों की जरूरत है, जो प्रत्येक स्थिति के लिए उपयुक्त हों. भारत के राष्ट्रीय विकास एजेंडा में अन्य के साथ-साथ गरीबी, सतत विकास, स्वास्थ्य, पोषण, लैंगिक...
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