अभी कुछ ही दिन पहले देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि दो वयस्कों की शादी में कोई भी बाधा नहीं बन सकता. ऑनर किलिंग पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने खाप पंचायतों को फटकार लगायी थी कि बालिग लड़के-लड़की की शादी के उनके फैसले में कोई भी दखल नहीं दे सकता. ऐसा करने का किसी को भी कोई अधिकार नहीं...
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उन पांच दिनों के नाम-- जयंती रंगनाथन
बात 1993 के अक्तूबर की है। पत्रकारों का एक दल लातूर में आए भूकंप का जायजा लेने मुंबई से वहां जा रहा था। उस दल में मैं भी थी। मुंबई से पुणे होते हुए दस घंटे की उस बस यात्रा के बाद जब सब थके-हारे चाय और खाने की तलाश में दो-चार हो रहे थे, मैं ढूंढ़ रही थी दवाई की दुकान। दुकान तो मिल गई, पर जब उससे पूछा,...
More »ऑनरेरी डिग्री की गरिमा-- डा. गौहर रजा
किसी शख्स को उसके उत्कृष्ट काम या समाज में बेहतरीन योगदान देने के लिए ऑनरेरी डिग्री (मानद उपाधि) दी जाती है. यह एक तरह से अकादमिक सम्मान है. मानद उपाधि देने की शुरुआत पंद्रहवीं शताब्दी में ऑक्सफोर्ड यूनवर्सिटी से हुई. उस जमाने में यह उपाधि या तो डोनर्स को दी जाती थी, या जिनकाे यह समझा जाता था कि यूनिवर्सिटी के बाहर उन्होंने उत्कृष्ट काम किया है, उनको दी जाती थी....
More »आदिवासी समाज का वह योद्धा-- रामचंद्र गुहा
जीवनी लिखने की विधा अपने यहां बहुत विकसित नहीं हो पाई है। हम जीवित लोगों की चापलूसी करना तो जानते हैं, पर गुजर चुके लोगों के बारे में अधिकार के साथ लिखने की अंतरदृष्टि विकसित नहीं कर पाए। अतीत से लेकर आज तक के नेताओं पर किताबें मिल जाएंगी, लेकिन उनमें से कुछ ही होंगी, जो साहित्य या पढ़ने लायक किताब होने की शर्त पूरी करें। गोखले पर बी आर...
More »बुनियादी ढांचे की बदलती परिभाषा-- नंदन नीलेकणि
अगर बाल्टी में छेद हो, तो इस धरती का पूरा पानी भी उसे कभी नहीं भर सकता। वित्त मंत्री को न सिर्फ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कृत्रिम बौद्धिकता को प्रोत्साहित करने के लिए फंड मुहैया करना होगा, बल्कि हाशिये के लोगों को भी देखना होगा। साफ है, हमें अपनी बुनियादी समस्याओं पर भी उतना ही ध्यान देने की जरूरत है, जितना महत्वाकांक्षी बड़ी परियोजनाओं पर। दोनों सिरों को साधना अब कोई...
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