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खेती की सुध कौन लेगा- धर्मेन्द्रपाल सिंह

जनसत्ता 1 अगस्त, 2014 : मौसम विभाग दावा कर रहा है कि वर्षा सामान्य से केवल दस प्रतिशत कम रहेगी। लेकिन बुआई का कीमती समय निकल जाने की भरपाई कैसे होगी, इसका जवाब उसके पास नहीं है। कृषि मंत्रालय ने एक जून से सत्रह जुलाई के बीच देश भर में धान, दलहन, सोयाबीन, कपास, मूंगफली आदि की बुआई का जो रकबा जारी किया है उसे देख कर लगता है कि इस...

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हाशिए पर भारतीय भाषाएं- अंजुम शर्मा

जनसत्ता 29 जुलाई, 2014 : लोकतंत्र में अगर तंत्र की भाषा लोक से भिन्न हो जाए तो यह लोकतंत्र के लिए अच्छा सूचक नहीं है। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा में भाषाई आधार पर भेदभाव के जो आरोप सामने आ रहे हैं उनसे अंगरेजी मानसिकता की वर्चस्ववादी नीति और भारतीय भाषाओं की दुर्दशा पर एक बार फिर विचार करने की जरूरत पैदा हुई है।...

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खाद्य सुरक्षा मुद्दे पर भारत अपने रुख पर अडिग

नई दिल्ली। खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर भारत विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में अपना रुख नरम करने के मूड में नहीं है। अपनी इस राय से सरकार ने अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी के नेतृत्व में भारत के दौरे पर आए प्रतिनिधिमंडल को भी अवगत करा दिया है। फिलहाल, अमेरिका ने इस मुद्दे पर बीच का रास्ता निकलने की संभावना भी जताई। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और जॉन केरी के बीच...

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शिक्षा में सजा नहीं, रचनात्मकता हो - अर्चना डालमिया

हमारे उपमहाद्वीप में दुनिया के लगभग 19 फीसदी बच्चे रहते हैं। देश की आबादी के एक-तिहाई से ज्यादा हिस्से की, करीब 44 करोड़ लोगों की उम्र 18 वर्ष से नीचे है। केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्रालय के अध्ययन के मुताबिक इस आबादी में से 40 फीसदी को देखभाल और संरक्षण की जरूरत है। इससे पता चलता है कि देश में बच्चों को किस हद तक शारीरिक दुर्व्यवहार का सामना...

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प्रदर्शनी की वस्तु नहीं हैं जारवा आदिवासी

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2002 में लगाई गई पाबंदी के बावजूद क्या अंडमान की जारवा जनजाति के लिए संरक्षित इलाकों में जारवा पर्यटन को बढ़ावा नहीं दिया जा रहा है? अगर अंडमान ग्रैंड ट्रंक रोड पर वाहनों की बढ़ती कतारें देखें, तो कुछ ऐसा ही समझ में आता है। उल्लेखनीय है कि अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही जारवा आदिम जनजाति के इलाकों में पर्यटकों की बढ़ती आवाजाही को देखते हुए...

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