सरस्वती लुप्त हो चुकी है, उसकी खोज चल रही है; गंगा मैली हो गई है, उसकी सफाई के प्रयास हो रहे हैं; यमुना सूख रही है, उसे बचाने की जरूरत है। हथनीकुंड बैराज इन दिनों पानी की कमी के चलते वीरान है। अभी सालभर में मात्र नौ माह ही यमुना में पानी रहता है। बाकी दिनों मेें त्योहार व पर्व पर इसमें स्नान करने तक के लिये जल नहीं होता।...
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1979 से ही वायु प्रदूषण का जोखिम!
आज भले ही दुनियाभर में वायु प्रदूषण पर चिंता जतायी जा रही हो और इससे निबटने के उपायों पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन इसका जोखिम 30 सालों से भी ज्यादा समय से होना पाया गया है. 'साइंस डेली' के मुताबिक, इनसान के लिए वायु प्रदूषण का जोखिम 30 साल पहले ज्यादा घातक था. इसे समझने के लिए इंगलैंड में पिछले 38 सालों के संबंधित आंकड़ों का अध्ययन...
More »प्लास्टिक घास से ढकी छत से बिजली!
छत पर पर्यावरण अनुकूलित बगीचा या सोलर पैनल लगाने का चलन बढ़ रहा है. इस बीच वैज्ञानिकों के एक इंटरनेशनल टीम ने प्लास्टिक घास की तरह के एक मैटेरियल से छत को ढकने का नया आइडिया विकसित किया है, जिसके जरिये बिजली हासिल हो पायेगी. 'साइंस एलर्ट' की रिपोर्ट के मुताबिक, छत पर लगाये गये प्रत्येक प्लास्टिक ब्लेड मिनिएचर विंड टरबाइन की भांति काम करते हैं, जिससे घर में...
More »जिका वायरस के आसन्न खतरों को लेकर दुनियाभर में बढ़ी चिंता
इबोला और स्वाइन फ्लू जैसी महामारी से हाल में निबटने और किसी भी समय इनके दोबारा उभरने की आशंकाओं के बीच दुनिया में एक नयी महामारी का खतरा मंडरा रहा है. मच्छरजनित ‘जिका वायरस' एक नयी वैश्विक चुनौती बन कर उभर रहा है. वैश्विक स्वास्थ्य के लिहाज से इसे लेकर चिंता लगातार बढ़ रही है. 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' के मुताबिक, मई, 2015 में ब्राजील में जिका वायरस का पहला मामला...
More »रघुराम राजन की टिप्पणी के बाद जीडीपी पर कोहराम
किसी भी देश के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का निर्धारण एक जटिल अर्थशास्त्रीय प्रक्रिया होती है. इसमें अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र के उपलब्ध आंकड़ों, मुद्रास्फीति तथा आधार वर्ष के आंकड़ों के समायोजन से कुल उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य तय किये जाते हैं. पिछले साल भारत सरकार ने जीडीपी के आकलन की प्रक्रिया में बड़ा फेरबदल किया, जिसे लेकर उद्योग जगत, अर्थशास्त्रियों और नीति-निर्धारकों में चर्चा चल रही है....
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