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कृषि को बनाया जाएगा बहुयामी : रावत

कृषि उत्पादन से भविष्य में खाद्य जरूरतें अधिक हैं, जिसे हासिल करना आसान नहीं है। खाद्य सुरक्षा के लिए सरकार, वैज्ञानिक व किसानों को मिलकर कार्य करना होगा। तभी उत्पादन लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। ये बातें केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री हरीश रावत ने कही। वे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा में तीन दिवसीय कृषि मेला के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे। पूसा में कृषि मेला का उद्घाटन करने...

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2010-11 में खाद्यान्‍न उत्‍पादन का आकलन 232.07 मिलियन टन

2010-11 के लिए फसल उत्‍पाद का दूसरा अग्रिम आकलन आज जारी कर दिया गया है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय सीएसओ ने 2010-11 के दौरान 232.07 मिलियन टन खाद्यान्‍न के उत्‍पादन का अनुमान लगाया है। पिछले वर्ष 218.11 मिलियन टन खाद्यान्‍न का उत्‍पादन हुआ था। इस वर्ष का उत्‍पादन 2008-09 में हुए 234.47 मिलियन टन खाद्यान्‍न के रिकॉर्ड उत्‍पादन से थोड़ा ही नीचे रहेगा। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने अनुमान लगाया है कि...

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बच के रहना रे बाबा! दूध में जहर है

अहमदाबाद। देश के सबसे प्रतिष्ठित खानपान ब्रांडों में शामिल "अमूल" के दूध के अहमदाबाद के नमूनों में खासे नुकसानदेह माने जाने वाले कीटनाशक क्लोरपाइरिफोस के अवशेषों की मात्रा स्वीकार्य सीमा से कई गुना ज्यादा पाई गई है। यह मात्रा देश भर में सर्वाधिक है। यह खुलासा देश की शीर्ष संस्थाओं में शुमार किए जाने वाली नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑक्यूपेशनल हैल्थ (एनआईओएच), अहमदाबाद के विश्लेषण मे हुआ है। यह देश भर में...

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किसानों की हत्या पर मुहर--- देविंदर शर्मा

जीएम फसलें एक बार फिर चर्चा में है. मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने अपनी पूर्ववर्ती नीति से पलटी मारकर अब सार्वजनिक रूप से जीएम फसलों को समर्थन देना शुरू कर दिया है. बहस गरमा रही है. यह उसी लाइन पर जा रही है, जिस पर शरद पवार जोर दे रहे है. इसमें हैरत की बात नहीं है. मैं देर-सबेर इसकी उम्मीद कर रहा था. आखिरकार, विकिलीक्स पहले ही खुलासा कर चुका है...

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खेती में असली क्रांति -- देविंदर शर्मा

2010 तो इतिहास बनने जा रहा है. मैं सशंकित हूं कि क्या नया साल किसानों के लिए कोई उम्मीद जगाएगा? अनेक वर्षो से मैं नए साल से पहले प्रार्थना और उम्मीद करता हूं कि कम से कम यह साल तो किसानों के चेहरे पर मुस्कान लाएगा, किंतु दुर्भाग्य से ऐसा कभी नहीं हुआ. साल दर साल किसानों की आर्थिक दशा बद से बदतर होती जा रही है. साथ ही कृषि भूमि...

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