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घटते निर्यात से बढ़ सकती है बेरोजगारी

नई दिल्ली। पिछले 10 महीनों से देश के निर्यात में हो रहे लगातार गिरावट से सरकार के होश उड़े हुए हैं। ऐसे समय जब रोजगार बाजार में युवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, निर्यात में लगातार गिरावट से देश में बेरोजगारी फैलने के आसार हैं। खास तौर पर चमड़ा, इंजीनियरिंग उत्पाद, कपड़ा और रत्न व आभूषण जैसे क्षेत्रों में निर्यात घटा है, उसे देखते हुए इन क्षेत्रों में लाखों लोगों...

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धर्मनिरपेक्ष नेतृत्व की चुप्पी का फल-- राजदीप सरदेसाई

सुधींद्र कुलकर्णी से बहुत पहले निखिल वागले और आपके इस मामूली स्तंभकार जैसे कई लोग शिवसेना के शिकार बन चुके हैं। 1991 में शिवसेना ने भारत-पाक क्रिकेट शृंखला के विरोध में वानखेड़े स्टेडियम का पिच खोद दिया था। मैंने इसकी कठोरतम शब्दों में आलोचना करते हुए लेख लिखा। जहां मैं काम करता था उस टाइम्स ऑफ इंडिया, मुंबई के दफ्तर के बाहर काले झंडे दिखाए गए, अपशब्द कहे गए, लेकिन...

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गरीबी का फंदा तोड़ने के वास्ते-- प्रमोद जोशी

आर्थिक विकास, व्यक्तिगत उपभोग और गरीबी उन्मूलन के बीच क्या कोई सूत्र है? यह इक्कीसवीं सदी के अर्थशास्त्रियों के सामने महत्वपूर्ण सैद्धांतिक प्रश्न है. पिछले डेढ़-दो सौ साल में दुनिया की समृद्धि बढ़ी, पर असमानता कम नहीं हुई, बल्कि बढ़ी. ऐसा क्यों हुआ और रास्ता क्या है?  इस साल अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार प्रिंसटन विश्वविद्यालय के माइक्रोइकोनॉमिस्ट प्रोफेसर एंगस डीटन को देने की घोषणा की गयी है. वे लंबे अरसे...

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इन्क्लूसिव मीडिया-यूएनडीपी फेलोशिप : आवेदन आमंत्रित हैं

इन्कूलिसिव मीडिया-यूएनडीपी फेलोशिप-2015 के लिए पत्रकारों से हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में आवेदन आमंत्रित हैं। फेलोशिप के लिए आवेदन इन्कूलिसिव मीडिया फॉर चेंज की ओर से आमंत्रित किए गए हैं। यह फैलोशिप ग्रामीण-संकट/ विकास तथा वंचित तबके के मुद्दों पर मीडिया कवरेज बढ़ाने और कवरेज को पैना बनाने के लिए दी जा रही है। फेलोशिप का उद्देश्य लोकतांत्रिक सामाजिक बदलाव को बढ़ावा देना है, खासकर सशक्तीकरण, भागीदारी, सुशासन(गुड-गवर्नेंस) तथा मीडिया...

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मांस के कारोबार पर सवाल क्यों नहीं? - आलोक मेहता

हमारे एक पारिवारिक मित्र मूलत: गुजराती ब्राह्मण हैं। वे शुद्ध शाकाहारी हैं। जनेऊ पहनकर निष्ठा के साथ पूजा-पाठ करते हैं। भारत सरकार के निर्यात प्रोत्साहन संस्थान में वे वर्षों से एक महत्वपूर्ण पद पर काम करते रहे हैं। लेकिन मित्र-परिवार के साथ बैठकों में उनकी तरक्की, वेतन-भत्तों की बढ़ोतरी, निरंतर दुनियाभर के देशों की यात्राओं की मीठी बातों के साथ एक मुद्दे पर उन्हें चिढ़ाया जाता है - 'अरे, आपकी...

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