हालांकि केंद्र सरकार ने मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाले मजदूरी को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ने की बात मान ली है, फिर भी वह इस मामले में संविधानप्रदत्त न्यूनतम मजदूरी देने में संकोच कर रही है जबकि देश के कई सूबों में अब भी मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाली मजदूरी न्यूतम मजदूरी से कम है। सरकार का तर्क है कि न्यूनतम मजदूरी दी गई तो बढ़ा हुआ वित्तीय...
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कुपोषण की चपेट में सहरिया जनजाति के नौनिहाल-एएचआरसी
परंत, राजवीर, रामकुमारी,सन्नी- ये नाम घनघोर कुपोषण में दम तोड़ने वाले बच्चों के हैं। 3 साल या फिर इससे भी कम उम्र के सभी बच्चे मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले गांवों में आबाद सहरिया जनजाति के हैं। आशिक, कुलदीप,पवन और मालती जैसे कुछ बच्चे और हैं, ये भी सहरिया जनजाति के ही हैं और कुपोषण की चपेट में इनका भी दम किसी क्षण टूट सकता है।(देखें लिंक संख्या-1) मानवाधिकारों के मोर्चे पर...
More »अलख जगाती एक यात्रा-- मेधा
११ दिसंबर दिन शनिवार का है। बापू की समाधि राजघाट पर जनमेला लगा है। देश भर से लोग अपनी रंगत, अपने लिबास, अपनी भाषा में विविधता संजोए आए हैं। कुछ है जो रंग-बिरंगी विविधता से भरे इन लोगों के मन को एकरस बना रहा है। सब के दिलों में एक ही तमन्ना धड़क रही है। और वह तमन्ना है - शस्य श्यामला ध्रती की उर्वरा-शक्ति, उसकी जीवंतता को बचाने की,...
More »प्रतिबद्ध पत्रकार बड़ा बदलाव ला सकते हैं- ज्यां द्रेज
1. झारखंड की स्थापना का एक दशक पूरा हुआ। झारखंड के बारे में आपका मूल्यांकन क्या कहता है ? झारखंड की जनता ने अलग राज्य बनाने के लिए जब लडाई ठानी तो आस यह लगी थी कि राज्य बना तो उन्हें अपनी जिन्दगी संवारने के बेहतर मौके मिलेंगे।झारखंड की जनता के लिए यह एक तरह से मुक्ति-यज्ञ था।लेकिन हुआ इसके उलट, झारखंड की स्थापना से ताकत उन्हीं की बढ़ी जिनसे जनता...
More »मनरेगा में न्यूनतम मजदूरी का गड़बड़झाला
क्या मनरेगा को जस का तस छोड़ा जा सकता है? मनरेगा के मामले में नागरिक-संगठन आखिर इतना हल्ला किस बात पर मचा रहे हैं? क्या ग्रामीण इलाके के सामाजिक कार्यकर्ता बहुत ज्यादा की मांग कर रहे हैं? क्या यूपीए- II वह सारा कुछ वापस लेने पर तुली है जो यूपीए- I ने चुनावों से पहले दिया था? चुनौती सामने है, मनरेगा गहरे संकट में है। अरुणा राय और ज्यां द्रेज सरीखे...
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