-डाउन टू अर्थ, अगले 80 से भी कम वर्षों में गंभीर सूखे से पीड़ित लोगों की संख्या दोगुनी हो जाएगी। जिसके लिए जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या में हो रही वृद्धि जिम्मेवार है। यह जानकारी मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा किए अध्ययन में सामने आई है। पता चला है कि जहां 1976 से 2005 के दौरान विश्व की करीब 3 फीसदी आबादी गंभीर सूखे का सामना कर रही थी, जो सदी के अंत...
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9 से 18 मीटर तक गिर सकता है झीलों का जल स्तर
-डाउन टू अर्थ, लगातार बढ़ते जलवायु संकट के कारण दुनिया भर में समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है और इनके किनारे रहने वाले लोगों के लिए खतरा बढ़ गया है। यदि अन्य क्षेत्रों की बात करे तो बढ़ता तापमान बिल्कुल विपरीत प्रभाव डाल रहा हैं। जल स्तर गिर रहा है और बड़े पैमाने पर समस्याएं भी पैदा कर रहा है, सभी क्षेत्रों में इसके परिणाम समान रूप से गंभीर हैं।...
More »किसानों के सामने आत्महत्या का सबसे मुख्य कारण है कर्ज : देविंदर शर्मा
-गांव कनेक्शन, देश में रोज 28 किसान और खेतिहर मजदूर आत्महत्या कर रहे हैं, जबकि 89 दिहाड़ी मजदूर जान देने को मजबूर हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो से सामने आये आंकड़ें यही गवाही दे रहे हैं। आखिर क्यों देश को अपने हाथों की मेहनत और खून-पसीने से सींचने वाले लोग जान दे रहे हैं, गाँव कनेक्शन के गांव कैफे में इसी मुद्दे पर चर्चा हुई, इस ख़ास चर्चा में शामिल हुए...
More »बी.टी.- बैंगन सहित किसी भी जी.एम. फसलो की अनुमति नहीं दी जायेगी – प्रकाश जावेडकर
-भारतीय किसान संघ प्रेस नोट, भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधि मंडल ने केंद्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर से बीटी बैंगन के जेनेटिकली मोडीफाइड परीक्षणों के लिए अनुमति नहीं देने की मांग को लेकर मुलाकात की उस समय श्री जावेडकर जी ने यह आश्वाशन दिया । भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय के अंतर्गत जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति द्वारा हाल ही में देश के 8 राज्यों में जनुकीय परिवर्तित (जी.एम.) फसल बीटी बैंगन...
More »जलस्रोतों में छिपा है पहाड़ के भू-कटाव का समाधान
-वाटर पोर्टल, पहाड़ हमेशा से संवेदनशील रहे हैं। हर कदम पर संघर्ष और चुनौती यहां के लोगों के जीवन का हिस्सा रहे हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन बढ़ने के साथ-साथ पहाड़ पर चुनौतियों का स्वरूप ही बदलता जा रहा है। बादल फटना, बाढ़, भूस्खलन और भू-कटाव आदि एक तरह से लोगों के जीवन का हिस्सा ही बन गए हैं, जिनसे हर साल उन्हें दो-चार होना पड़ता है। इससे न केवल यहां के...
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