टोरंटो। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को लेकर चौंकाने वाली बात सामने आई है। एक अध्ययन में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन सिर्फ समुद्री तापमान वृद्धि और मौसम की अनियमितता ही नहीं बल्कि धरती के आकार में बदलाव का भी कारण बन सकता है। पांच वर्षों के अध्ययन के दौरान अनुसंधानकर्ताओं ने पेटागोनिया और अंटार्कटिक प्रायद्वीप के ग्लेशियरों की तुलना की। अध्ययन में पाया गया कि अंटार्कटिक की तुलना में अपेक्षाकृत...
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100 से 200 साल में डूब जायेंगे कोलकाता और मुंबई-- मिथिलेश झा
महाप्रलय के बारे में अब तक लोगों ने किताबों और कहानियों में पढ़ा और सुना है. लेकिन, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और जर्मनी के पोस्टडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इंपैक्ट रिसर्च के वैज्ञानिकों ने जो शोध पेश किया है, वह एक बार फिर महाप्रलय के आने की आशंका जाहिर कर रहे हैं. इसकी वजह प्राकृतिक नहीं, मानवजनित है. जी हां, हमने खुद उन परिस्थितियों का निर्माण किया है, जिससे हमारी...
More »जमीन में कोयला आकाश में कालिख
देश का नेतृत्व तेज आर्थिक विकास के लिए प्रतिबद्ध दिख रहा है। इसके लिए कोयला उत्पादन दोगुना-तिगुना करने की जरूरत है। पर दुर्भाग्य से अगर ऐसा हुआ तो भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश बन जाएगा। डेविड रोज की रिपोर्ट वित्त वर्ष मार्च 2015 के अंत तक दुधिचुआ ने 15 मीट्रिक टन कोयला उत्पादन किया, जो ब्रिटेन के कुल कोयला उत्पादन से भी अधिक है। दुधिचुआ सिंगरौली कोयला-क्षेत्र...
More »प्रचंड गरमी पर उबलती बहस- इला भट्ट
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विश्व, विशेष रूप से भारत, गरीबी के मुद्दे पर एक साथ नहीं आया है, जैसा कि यह जलवायु परिवर्तन पर एक साथ आया है. ये दोनों आपस में जुड़े हुए हैं. इसलिए, मैं भारत सरकार से आग्रह करूंगी कि देश का आइएनडीसी तैयार करते समय इसका ध्यान रखे कि क्या हमारे आइएनडीसी गरीबी को कम करने की दृष्टि से कार्बन उत्सजर्न को कम करने के लिए...
More »आबोहवा को बचाने की कवायद- कोरल डेवनपोर्ट
दो दशक से अधिक समय से वैश्विक संधि की अनवरत विफल कोशिशों के बाद एक बार फिर उम्मीदों के घोड़ों पर सवार संयुक्त राष्ट्र के वार्ताकार सोमवार से दक्षिण अमेरिका में जमा हुए हैं। उनकी कोशिश यही है कि इस बार बात बन जाए। हालांकि ग्रीन हाउस गैस के मौजूदा उत्सर्जन में कटौती करने संबंधी समझौते के बावजूद वैज्ञानिकों का आकलन है कि दुनिया की आबोहवा तेजी से खराब होती...
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