18 वर्षीय लवप्रीत सिंह का जीवन सामान्य तरीके से गुज़र रहा था. लेकिन पिछले महीने उनकी ज़िन्दगी में तब उथल-पुथल आई जब उनके पिता, 42 वर्षीय किसान बलविंदर सिंह, ने आत्महत्या कर ली. अमृतसर के निकट एक छोटे से गांव में अब वह अपनी मां और दादी के साथ रहते हैं और अकेली संतान होने के नाते परिवार की सारी ज़िम्मेदारियां उनके युवा कधों पर आ गई हैं. धान के दाम तेज़ी...
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डूब जाते हैं बनैनिया जैसे समृद्ध गांव और राजनीति उफ तक नहीं करती
महज पांच साल पहले कोसी नदी के किनारे एक खूबसूरत और समृद्ध गांव था बनैनिया. मिथिलांचल और कोसी के इलाकों को जोड़ने के लिए जब महासेतु बना, तो बनैनिया डूब गया. थोड़ी-सी प्रशासनिक सजगता इस गांव को बचा सकती थी. गुणानंद ठाकुर जैसे सांसद और मायानंद मिश्र जैसे बड़े साहित्यकार का यह गांव अब कोसी की धारा में समा गया है. गांव के लोग 22 अलग-अलग गांवों में रहते हैं....
More »दाल उत्पादन बढ़ाने की जरूरत-- रमेश दूबे
महंगे प्याज ने पहले ही किचन का जायका बिगाड़ के रखा है और अब दाल की कीमतें भी आसमान छूने लगी हैं. दालों की कीमतों पर लगाम लगाने के सरकार ने स्टॉक लिमिट, जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई, दालों के वायदा कारोबार का निलंबन जैसे उपाय किये हैं, लेकिन ये कारगर साबित नहीं हो रहे हैं. सरकार भले ही थोक मुद्रास्फीति के माइनस 4.95 के ऐतिहासिक स्तर तक पहुंचने का ढिंढोरा...
More »छत्तीसगढ़ और पड़ोसी राज्यों से चावल की सप्लाई बंद
रायपुर। सूखे की आहट के बीच छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में अनाज कारोबारियों ने सप्लाई बंद कर खुद ही चावल की खरीदी शुरू कर दी है। इसका कारण है कि अब चावल गोदामों से निकल नहीं रहा, किसान ने भी अपनी कोठी बंद कर रखी है। इसके कारण चावल बाजार ने महंगाई की राह पकड़ ली है। यहां के राइस मिलर्स और धान कारोबारी भी चिंतित हैं। छत्तीसगढ़ के...
More »गांवों की ओर भी देखें हुक्मरान- देविन्दर शर्मा
किसी गांव की एक महिला बकरी खरीदना चाहती है। वह आर्थिक तौर पर अपने पैरों पर खड़े होना चाहती है। यह जानते हुए कि उसे मदद मिल सकती है, वह इस काम के लिए लघु वित्तीय संस्थान (एमएफआई) में संपर्क करती है। उसे लगभग 7,000 रुपए की जरूरत है। एक स्वयं सहायता समूह के जरिए काम कर रही एमएफआई उसे 24 प्रतिशत की दर पर ब्याज के हिसाब से यह...
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