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एक प्रगतिशील फैसले के बाद-- एस श्रीनिवासन

देश का सबसे शिक्षित सूबा केरल इन दिनों उबल रहा है। विवाद सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को लेकर है, जिसमें सबरीमाला के अयप्पा मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को पूजा-अर्चना की अनुमति दी गई है। इस फैसले का सांविधानिक पहलू भी है और सांस्कृतिक भी। लेकिन चुनावी मौसम के करीब होने के कारण इस मसले को विशुद्ध राजनीति ने हथिया लिया है। कानूनी लिहाज से यह विवाद एक व्यक्ति...

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शक्ति की मौलिक कल्पना के नौ दिन-- पद्मा सचदेव

आज से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो गई है। इसे महानवरात्र भी कहा जाता है। श्रद्धालु आज से नौ दिनों तक पूजा कर मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करेंगे। इन नौ दिनों में मां के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाएगी, जिसे ‘शक्ति की पूजा' भी कहते हैं। जिन लोगों ने सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की राम की शक्ति पूजा पढ़ी होगी, वे यह जानते होंगे कि महाकवि निराला ने...

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'अर्बन नक्सल' कौन है, कहां है-- रविभूषण

'अर्बन नक्सल' एक गढ़ा हुआ राजनीतिक पद है. इसका अर्थ उन शहरी पत्रकारों, कवियों, लेखकों, बुद्धिजीवियों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और संस्कृतिकर्मियों से है, जो नक्सलवाद, माओवाद के समर्थक हैं. इस पद की वास्तविकता और इसके पीछे सत्ता-व्यवस्था और सरकारों की नीतियों पर इसके साथ कम विचार किया गया है. फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री की पुस्तक 'अर्बन नक्सल्स : द मेकिंग ऑफ बुद्धा इन ए ट्रैफिक जाम' (अंग्रेजी में गरुण प्रकाशन से...

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आदिवासी अधिकार के नाम पर- शशिशेखर

जिस समय कश्मीर का अलगाववाद पूरे देश में चिंता का विषय बना हुआ है, ठीक उसी समय झारखंड के कुरूंगा गांव में एक दूसरा दृश्य दिख रहा है। वहां एक शिलालेख पर लिखा है-   ‘भारत में गैर आदिवासी दिकु, विदेशी केंद्र सरकार को शासन चलाने और रहने का लीज एग्रीमेंट 1969 ई. में ही समाप्त हो गया है।' ‘वोटर कार्ड (मतदान पहचान पत्र) और आधार कार्ड (आम आदमी का अधिकार कार्ड) आदिवासी...

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न्याय की वेदी पर खंड-खंड पाखंड - भवदीप कांग

अपने आश्रम में एक नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आसाराम को जोधपुर कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुना दी है। यह वही आसाराम है, जिसका कभी बड़ा रसूख हुआ करता था। अपने इसी रसूख के दम पर उसने एक बार यहां तक कि गुजरात की तत्कालीन मोदी सरकार को गिराने की धमकी भी दे डाली थी। यूं देखा जाए तो राजनीतिक प्रश्रय की वजह से ही कथावाचक आसाराम के...

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