प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक विश्व शक्ति के रूप में उभर रहा है. जरूरत है कि इस प्रयास को ठोस नींव पर खड़ा किया जाये. इस दिशा में देश की आर्थिक हालत आड़े आ रही है. दूसरे देशों को पूर्व में दिये गये आश्वासनों को हम पूरा नहीं कर पा रहे हैं. संसद की विदेश मंत्रालय की स्टैंडिंग कमेटी के समक्ष दिसंबर 2014 में बताया गया था...
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अन्न की बर्बादी और भूख-- रविशंकर
हर साल देश में करीब पचास हजार करोड़ रुपए का अनाज बर्बाद हो जाता है। एक ऐसे देश में जहां करोड़ों की आबादी को दो जून ठीक से खाना नहीं नसीब होता, वहां इतनी मात्रा में अनाजों की बर्बादी किस तरह की कहानी कहती है? इसकी पड़ताल कर रहे हैं रविशंकर। यह विडंबना नहीं, उसकी पराकाष्ठा है कि सरकार किसानों से खरीदे गए अनाज को खुले में छोड़कर अपना कर्तव्य पूरा...
More »परंपरा और आधुनिक गणराज्य की खिचड़ी- एडवर्ड ए रॉड्रिग्ज, दिलीप मंडल
हरियाणा के सुनपेड़ की घटना के बाद केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने जो बयान दिया था, उसे लेकर गुबार अब थम चुका है। इस घटना को लेकर अब तमाम तरह की व्याख्याएं भी आ रही हैं। लेकिन जिस समय यह बयान दिया गया था, उस समय इस घटना की एक ही कहानी थी और वह बेहद दर्दनाक है। पुलिस में दर्ज एफआइआर के मुताबिक एक दलित परिवार के घर...
More »किसानों की खुदकुशी के सबब- विनोद कुमार
जरा गौर कीजिए कि इसी देश में करीब अठारह-बीस करोड़ भूमिहीन दलित, अति पिछड़े मजूर हैं। उनके जीवन में यह मौका ही नहीं आता कि वे बैंक से कर्ज लें, खेती करें, उनकी फसल नष्ट हो और वे आत्महत्या कर लें। इसका अर्थ यह नहीं कि हम किसानों की आत्महत्या से पीड़ा का अनुभव नहीं करते। लेकिन इस बात को समझना तो होगा कि एक भूमिहीन किसान या मजूर आत्महत्या न...
More »श्रम और दक्षता का संतुलन-- मणीन्द्र नाथ ठाकुर
यह नई खोजों का समय है। भविष्य में वही समाज या देश आगे बढ़ेगा, जो नई वैज्ञानिक और सामाजिक खोजों में आगे रहेगा। दुनिया में इस समय तीन देश प्रतिस्पर्धा में हैं: चीन, भारत और अमेरिका। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हाल में ‘ब्रेन प्रोजेक्ट' की शुरुआत करते हुए जिक्र किया कि इंटरनेट के बाद अगली क्रांति मनुष्य के दिमाग की तकनीकी को समझने की होगी और अमेरिका को ये...
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