- द कारवां, आंबेडकर के परिनिर्वाण के बाद दलित आंदोलन खत्म तो नहीं हुए, लेकिन उसकी गति धीमी और राजनीतिक मोर्चे पर दिशाहीन भी हो गई थी. वह 1970 का दशक था जब दलितों के खिलाफ उत्पीड़न की घटनाएं पूरे देश में हो रही थीं. चूंकि राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर मुखालिफत नहीं हो रहा था, इसलिए दिन पर दिन उत्पीड़कों-शोषकों का हौसला बढ़ता जा रहा था. ऐसे समय में दलित...
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डेढ़ सौ बरस के गांधी का नवीन वैभव
गए साल अक्टूबर की 20 तारीख़ को कानपुर में एक गोष्ठी से गुज़रना हुआ था. विचारशीलता और बौद्धिक हस्तक्षेप की पत्रिका ‘अकार’ के मार्फ़त आयोजित इस गोष्ठी का विषय ‘डेढ़ सौ बरस के गांधी’ था. इस गोष्ठी के दरमियान लिए गए नोट्स इन पंक्तियों के लेखक की डायरी में लंबे समय तक दबे रहे. कानपुर से लौटकर इन नोट्स पर लौटना न हुआ, लेकिन अब हो रहा है—पर्याप्त देर से ही...
More »कम फीस और ज्यादा गुणवत्ता वाले शिक्षा संस्थानों का होना बेहद जरूरी क्यों है
पिछले कुछ समय से पूरे देश में कई विश्वविद्यालयों के छात्र फीसवृद्धि को लेकर उत्तेजित हैं. पड़ोसी देश पाकिस्तान तक से इसी प्रकार के विरोध-प्रदर्शनों की खबरें आ रही हैं. शासक वर्ग की ओर से इसके प्रति या तो उदासीनता दिखाई जा रही है या फिर इसे राजनीतिक रंग देकर खारिज करने की कोशिश की जा रही है. विपक्षी दल भी इस मुद्दे पर ज्यादा कुछ नहीं कर रहे हैं...
More »पर्यावरण की साथी स्त्रियां
पर्यावरण आंदोलन के उदय का मुख्य कारण पर्यावरणीय विनाश ही रहा है। आलोचकों का कहना है कि स्वाधीनता पाने के बाद से पश्चिमी अनुभव पर आधारित आर्थिक विकास के प्रतिमानों की नकल उतारने की वजह से भारत में प्राकृतिक संसाधनों पर संघर्ष तीव्र हुए। दूसरा, विकास योजनाओं का संसाधनों के सामाजिक पहलुओं से अनजान होना भी संसाधनों के शोषण और उस पर निर्भर लाखों ग्रामवासियों की बदहाली का कारण है।...
More »नए साल पर जलते-बंटते मुल्क में मीडिया-रुदन
पिछले ही हफ्ते ओलिंपिक खेलों में प्रवेश के लिए मुक्केबाज़ी का ट्रायल हुआ था. मशहूर मुक्केबाज़ मेरी कॉम ने निख़त ज़रीन नाम की युवा मुक्केबाज़ को हरा दिया. इस घटना से पहले और बाद में क्या-क्या हुआ, वह दूर की बात है. मुक्केबाज़ी के इस मैच और उसके नतीजे की ख़बर ही अपने आप में जिस रूप में सामने आयी, वह मुझे काम की लगी. किसी ने ट्विटर पर किसी...
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