उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दूर-दराज़ कोने में बसी हुई, शोर-ग़ुल और चहल-पहल भरी करावलनगर की बस्ती, अनौपचारिक क्षेत्र के उद्यमों का एक उभरता हुआ केन्द्र है, जहाँ बड़ी संख्या में प्रवासी मज़दूर और उनके परिवारों को रोज़गार मिलता है। ये उद्यम किसी भी मानक से छोटे नहीं है। वैश्विक सम्बन्धों की जटिल श्रृंखला में बँधे ये उद्यम, सालभर चालू रहते हैं और हज़ारों मज़दूरों के रोज़गार का स्रोत हैं। कई करोड़...
More »SEARCH RESULT
खादी से पलेंगे 50 हजार परिवार
झारखंड का कुचाई सिल्क व तसर आज पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो रहा है. इसकी चमक और धमक पश्चिम के देशों में भी महसूस की जा रही है. कोकून उत्पादन में झारखंड अव्वल है. आंकड़े बताते हैं कि दुनिया का 60 प्रतिशत कोकून भारत में उत्पादित होता है. और भारत का 60 प्रतिशत कोकून झारखंड में. लाह उत्पादन में भी झारखंड की स्थिति काफी अच्छी है. इसके अलावा यहां सैकड़ों प्रकार के...
More »96 फीसद बारिश की संभावना
नई दिल्ली। मॉनसून की लेट-लतीफी ने हलकान कर दिया है। मॉनसून फिलहाल उत्तर भारत में पहुंचा ही है, लेकिन उसके तेवर ढीले हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में मॉनसून ने दस्तक दे दी है लेकिन शेष हिस्से अभी सूखे के सूखे हैं। मौसम विभाग के अनुसार आगामी दो-तीन दिन में मॉनसून उत्तर भारत को अपनी गिरफ्त में ले सकता है। मौसम विभाग ने कहा है कि मॉनसून का दूसरा चरण सामान्य रहेगा।...
More »मुखिया को ठेकेदार मत बनाइए- टी आर रघुनंदन से प्रभात खबर के पुष्यमित्र की बातचीत
इन दिनों देश के प्रशासनिक ढांचे में आमूल-चूल बदलाव लाने की कोशिश की जा रही है. सैद्धांतिक रूप से यह मान लिया गया है कि प्रशासन का ब्रिटिश ढांचा भारतीय परिस्थिति में नहीं सफल हो रहा. महात्मा गांधी ने जो गांवों के सरकार की कल्पना की थी वही देश को ढंग से चलाने का कारगर तरीका हो सकता है. इसके लिए कई सालों से विकेंद्रीकरण की कोशिशें की जा रही...
More »करावलनगर की वॉकर फ़ैक्ट्रियों में मज़दूरों के हालात
उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में करावलनगर के औद्योगिक इलाके और उससे लगे क्षेत्र में वॉकर (छोटे बच्चों को चलने में मदद करने वाली साइकिल) और पालना बनाने वाली 14-15 छोटी-छोटी फ़ैक्ट्रियाँ हैं। ज़्यादातर फ़ैक्ट्रियों में 10-15 मज़दूर और कुछ में 30-40 मज़दूर काम करते हैं। ज़्यादातर फ़ैक्ट्रियाँ दलित बस्ती में हैं, कुछ करावलनगर गाँव, पंचाल विहार और दयालपुर में स्थित हैं। इनमें काम करने वाले ज़्यादातर मज़दूर झारखण्ड, बिहार और उत्तर प्रदेश से आये प्रवासी...
More »