SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 617

रोटी को तरसते लोग, गोदामों में सड़ते अनाज

नई दिल्ली [उमा श्रीराम]। करीब 70 वर्ष पहले चर्चित कवि सुब्रमण्यम भारती ने यह कहकर हलचल मचा दी थी कि यदि दुनिया में एक भी आदमी भूखा है तो इस विश्व को ही नष्ट कर दो। भारती जी ने तभी भारत की आजादी को देख लिया था और उन्होंने आधुनिक भारत, युवा वर्ग व महिलाओं को समर्पित करते हुए कई कविताएं रच डाली थी। पर दुर्भाग्य से वे यह कल्पना भी नहीं कर सके...

More »

उत्तराखंड में अनाज का संकट

उत्तराखंड को खाद्यान्न संकट का सामना करना पड़ रहा है। राज्य सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए केंद्र से हस्तक्षेप करने की मांग की है। राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री दिवाकर भट्ट के मुताबिक गरीबी रेखा से ऊपर (एपीएल) वालों के लिए केंद्र से की जाने वाले खाद्यान्न की आपूर्ति में 77 फीसदी की कटौती हो गई है और इस वजह से राज्य में गेहूं और चावल की कमी पैदा हो गई...

More »

गरीबों के घर पर चस्पा होगा गरीबी का पर्चा!- शशिकांत त्रिवेदी

मध्य प्रदेश सरकार राज्य के हर गरीब के घर के बाहर एक पर्चा लगवाने की योजना बना रही है जिसमें यह बताया जाएगा कि यह घर किसी गरीब का है। बताया जा रहा है कि इस काम के लिए जल्द ही सरकार विस्तृत योजना तैयार करने वाली है। गरीबों के लिए काम करने वाला कोई भी गैर सरकारी संगठन अभी तक औपचारिक तौर पर इस सरकारी योजना के खिलाफ नहीं आया है। हालांकि, विशेषज्ञों ने...

More »

किसानों की आत्महत्याः एक 12 साल लंबी दारूण कथा

   कुछ लोगों के लिए किसानी मुनाफे का धंधा हो सकती है, लेकिन देश की बहुसंख्यक आबादी के लिए यह घाटे का सौदा बना दी गई है. न सिर्फ घाटे का सौदा, बल्कि मौत का सौदा भी. और यह सिर्फ इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि खेती से महज कुछ लोगों का मुनाफा सुनिश्चित रहे. यही वजह है कि खेतिहरों के कर्जे की माफी का फायदा भी आम खेतिहरों को नहीं मिला बल्कि बड़े किसानों को...

More »

बुद्धि की मंदी है : मुद्दों का न होना- पी साईनाथ

कम-से-कम दो प्रमुख अखबारों ने अपने डेस्कों को सूचित किया कि 'मंदी' (recession) शब्द भारत के संदर्भ में प्रयुक्त नहीं होगा। मंदी कुछ ऐसी चीज है, जो अमेरिका में घटती है, यहां नहीं. यह शब्द संपादकीय शब्दकोश से निर्वासित पडा रहा. यदि एक अधिक विनाशकारी स्थिति का संकेत देना हो तो 'डाउनटर्न' (गिरावट) या 'स्लोडाउन' (ठहराव) काफी होंगे और इन्हें थोडे विवेक से इस्तेमाल किया जाना है. लेकिन मंदी को नहीं. यह मीडिया के दर्शकों के...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close