भ्रष्टाचार से मुक्ति भारत की राष्ट्रीय अभिलाषा है। इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी के 'न खाऊंगा और न खाने दूंगा वाले बयान की अक्सर मिसाल दी जाती है। मोदी के तीन साल के कार्यकाल में केंद्र सरकार के स्तर पर भ्रष्टाचार का कोई मामला सामने नहीं आया, मगर इस बीच प्रशासन से जुड़े तमाम बड़े नाम भ्रष्टाचार की जद में फंसते नजर आए। सीबीआई के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा पर...
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आस्तियां कैसे बनीं अस्थियां!-- अनिल रघुराज
हम ऋण लेते हैं, तो वह हमारे लिए बोझ या देनदारी होता है. मशहूर कहावत भी है कि अगर हमें बैंक को 100 रुपये लौटाने हैं, तो यह हमारी समस्या है, लेकिन हमें अगर 100 करोड़ लौटाने हैं, तो यह बैंक की समस्या है. दरअसल, बैंक जब ऋण देता है, तब वह उसके लिए आस्ति होती है, क्योंकि मूलधन समेत उस पर मिला ब्याज ही उसकी कमाई का मुख्य जरिया...
More »एक कमरे में 132 बच्चों को एक साथ पढ़ाते हैं चार शिक्षक
श्योपुर, हरिओम गौड़। ऐसा नजारा आपने जीवन में शायद ही कभी देखा हो, लेकिन श्योपुर से 22 किमी दूर तुलसेफ गांव के प्राइमरी स्कूल में यह रोज की बात है। 13 वाय 18 फीट के एक कमरे में यह स्कूल चलता है। स्कूल में कुल 132 बच्चे हैं। आमतौर पर 110 से 120 बच्चे रोज पढ़ने आते हैं। हेडमास्टर सहित स्कूल में कुल चार शिक्षक हैं। चारों शिक्षक एक कमरे में...
More »सुस्त रेंगती भारतीय ट्रेनें -- बिभाष
पहली फरवरी को वित्त मंत्री ने स्वतंत्र भारत में पहली बार रेल बजट को मुख्य बजट में शामिल करके पेश किया. रेल को बजट के भाग-क के पांचवें चैप्टर में इंन्फ्रास्ट्रक्चर शीर्ष के अंतर्गत शामिल किया गया है. बजट के इस हिस्से की शुरुआत में उन्होंने कहा कि रेल, रोड और नदियां हमारे देश की जीवन-रेखा हैं और इस संयुक्त बजट से उन्होंने आशा जगायी कि अब रेलवे, सड़क, जल...
More »बजट 2017-2018 : पॉपुलिस्ट होने से बची केंद्र सरकार, एक अच्छा बजट-- गुरुचरण दास
विमुद्रीकरण की वजह से बीते कुछ समय से जिस तरह से अर्थव्यवस्था को लेकर अनिश्चितता बनी रही है, वैश्विक अर्थव्यवस्था भी अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है, तेल की कीमतें बढ़ रही हैं, हमारे निर्यात की हालत खराब है, इन सबके चलते हम सबको डर था कि यह बजट पूरी तरह से राजनीतिक होगा. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ और यह बजट बहुत ही अच्छा रहा. यह भी लोगों...
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