नई दिल्ली के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में चल रहे राजनीतिक विवाद का भिन्न-भिन्न कोणों से विश्लेषण किया जा सकता है। संसद हमले के षड्यंत्रकारी या कश्मीर की आजादी या पाकिस्तान के पक्ष में नारे लगाने का समर्थन कोई नहीं करेगा, ऐसा करना भी नहीं चाहिए। अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब यह नहीं कि छात्र इसकी सीमा का अतिक्रमण करें। लेकिन इसी आधार पर अफजल गुरु की बरसी पर एक...
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अर्थव्यवस्था की कमजोर कड़ी बने सरकारी बैंक
नई दिल्ली। केंद्र सरकार भले ही यह दावा कर रही हो कि भारत अभी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था है और आंकड़ों में यह दावा सही भी है। लेकिन सरकारी बैंकों की माली हालत देख कर ऐसा नहीं लगता। जानकारों का कहना है कि सरकारी बैंक देश की अर्थव्यवस्था की सबसे कमजोर कड़ी बन चुके हैं। दिसंबर, 2015 को समाप्त तिमाही में देश के 11 प्रमुख सरकारी बैंक...
More »एसईजेड को नई ऊर्जा दे सकता है आम बजट
नई दिल्ली। ग्लोबल मंदी से निर्यात में गिरावट और रोजगार सृजन की धीमी रफ्तार को देखते हुए सरकार विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) में नई जान फूंकने की तैयारी कर रही है। माना जा रहा है कि सरकार तटीय क्षेत्रों में बड़े आर्थिक क्षेत्रों को बढ़ावा देने को आम बजट में कुछ प्रोत्साहनों की घोषणा कर सकती है। हालांकि, एसईजेड को ये प्रोत्साहन तभी मिलेंगे जब वे वांछित स्तर पर रोजगार सृजन...
More »नीति आयोग : एक साल का सफर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2014 को अपने पहले स्वतंत्रता दिवस संबोधन में कहा था कि वे योजना आयोग की जगह नयी संस्था बनाना चाहते हैं. इस घोषणा के अनुरूप, 1 जनवरी, 2015 को उन्होंने नीति आयोग बनाने की घोषणा की. इस नयी संस्था से देश को काफी अपेक्षाएं हैं. इसे जहां व्यापार, स्वास्थ्य, कृषि, ग्रामीण विकास, शिक्षा तथा कौशल विकास जैसे मसलों पर ज्ञान के सृजन और...
More »बैंकों के फंसे कर्ज पर चुप्पी क्यों- देविन्दर शर्मा
हाल में एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट हैरान करने वाली थी। पिछले तीन वित्त वर्षों के दौरान 29 राष्ट्रीयकृत बैंकों ने 1.14 लाख करोड़ रुपये के कर्ज को न वसूल हो सकने वाले डूबत खाते में डाल दिया। एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, 7.32 लाख करोड़ रुपये का ऋण आश्चर्यजनक रूप से सिर्फ दस कंपनियों को दिए गए था। ये रिपोर्टें ऐसे वक्त में आ रही हैं, जब आर्थिक...
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