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लिफ्ट सिंचाई में नई उम्मीद व पुरानी बाधाएं- भारत डोगरा

देश में बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं,  जो नदियों के बहते पानी को पंप से लिफ्ट करके सिंचाई करते हैं। जब तक विभिन्न किसान यह प्रयास व्यक्तिगत स्तर पर करते रहे,  इसमें कई कठिनाइयां रहीं,  पर अनेक किसान सामूहिक प्रयास से अब काफी सफलता प्राप्त कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में बांदा जिले के कुछ गांवों में अंडरग्राउंड पाइप डालकर इस पानी को पहले की अपेक्षा काफी अधिक खेतों...

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देश की सभी नदियों पर जलमार्ग बनेगा: गडकरी

केंद्र सरकार सड़कों से होने वाली से माल ढुलाई और यात्री परिवहन को देश की नदियों की ओर मोड़ना चाहती है। इसके तहत सरकार छोटी-बड़ी तमाम नदियों पर जलमार्ग बनाने की विस्तृत योजना बना रही है। एयरपोर्ट की तर्ज पर नदियों में वाटर पोर्ट बनाए जाएंगे। जिससे देशभर में सी-प्लेन सेवा को शुरू हो सके। इस योजना से पर्यटन क्षेत्र में अगले पांच साल में 15 लाख नए रोजगार के...

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बराबरी का फलसफा और हम - गोपालकृष्‍ण गांधी

साम्यवाद का भविष्य। यह भी आज किसी लेख का विष्ाय हो सकता है क्या? कांग्रेस का भविष्य, नेहरू-गांधी परिवार का भविष्य, लोकतांत्रिकता का भविष्य, अल्पसांख्यिकता का भ्ाविष्य, स्वतंत्र विचार, स्वतंत्र लेखन, स्वतंत्र चिंतन का भविष्य, इन सब पर सोच वाजिब और लाजिम है। लेकिन साम्यवाद..? साम्यवाद करके जब कुछ रहा ही नहीं है, उस नाम के दोनों दलों माकपा और भाकपा के जब लोकसभा में सदस्य ही नहीं के बराबर हैं,...

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खूनी सड़कों पर सुरक्षित यातायात की चुनौती- सुभाष चंद्र कुशवाहा

सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए लोगों की स्मृति में विगत 16 नवंबर को पहली बार ‘सड़क यातायात मृतक विश्व स्मृति दिवस' मनाया गया। भारत की सड़कें विश्व की सर्वाधिक रक्तरंजित सड़कों में गिनी जाती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, 2011 में सड़क दुर्घटनाओं में दुनिया भर में 12.40 लाख लोग मारे गए, जिनमें से अकेले हमारे देश में 1.43 लाख लोगों की मौत हुई, जो विश्व में सर्वाधिक था।...

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बच्चों को स्कूल क्यों पसंद नहीं आता - पंकज चतुर्वेदी

वह बमुश्किल तीन साल की होगी, पापा की गोदी में जब कार से उतरी, तो चहक रही थी। जैसे ही बस्ता उसके कंधे पर गया, तो वह सुबकने लगी, रंग-बिरंगे पुते, दरवाजे तक पहुंची, तो दहाड़ें मारने लगी। वह स्कूल क्या है, खेल-घर है, वहां खिलौने हैं, झूले हैं, खरगोश और कबूतर हैं, कठपुतलियां हैं, फिर भी बच्ची वहां जाना नहीं चाहती। क्योंकि...

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