सलाह मिल गयी है. खाद्य-सुरक्षा विधेयक का मसौदा अपनी परिणति तक आ पहुंचा है. लोग जान गये हैं कि यूपीए सरकार ना सही सबको तो भी कम-से-कम 80 फ़ीसदी लोगों को सस्ता अनाज देने जा रही है. लोग खुश हैं या नहीं, कहा नहीं जा सकता. भोजपुरी में एक कहावत है-ये सूरदास घीव कड़कड़ाईल बा और सूरदास का जवाब कि थरिया में पड़ो तब नू. खाद्य-सुरक्षा के मामले में जनता-जनार्दन...
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खाद्य सुरक्षा क़ानून में विसंगतियां
इसके साथ ही खाद्य सुरक्षा को लेकर राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) और सरकार का अंतरद्वंद्व खुलकर सार्वजनिक रूप से उजागर हो गया है। ज़्यां द्रेज़ का मानना है कि एनएसी ने चार महीनों की मेहनत के बाद जिस मसौदे को अंतिम रूप दिया है उससे खाद्य सुरक्षा का वादा पूरा कर पाने में सरकार विफल ही रहेगी। मसौदे को एक निराशाजनक दस्तावेज़ करार देते हुए उन्होंने इससे कड़े शब्दों में अपनी असहमति...
More »मणिपुर के बच्चे कहाँ जाएं
मणिपुर में उग्रवाद और उग्रवाद के विरोध में जारी हिसंक गतिविधियों के चलते बीते कई दशकों से बच्चे हिंसा की कीमत चुके रहे हैं. यह सीधे तौर से गोलियों और अप्रत्यक्ष तौर से गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण की तरफ धकेले जा रहे हैं. राज्य में स्थितियां तनावपूर्ण होते हुए भी कई बार नियंत्रण में तो बन जाती हैं, मगर स्कूल और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे बुनियादी ढ़ांचे कुछ इस तरह से चरमराए हैं...
More »वेदांत- हिन्दुत्व और साम्राज्यवादी मंसूबों का विध्वसंक मिश्रण- रोजर मूडी
विभिन्न देशों के कानून और पर्यावरण नियमों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन करने में वेदांत रिसोर्सेज़ की एक अलग पहचान है. कहने को तो यह कम्पनी एक पब्लिक कम्पनी है मगर इसमें वर्चस्व खुले तौर पर केवल एक व्यक्ति, उसके परिवार और इष्ट मित्रों का ही है. इस कम्पनी को इस बात पर भी नाज़ है कि वह हिन्दुत्व और नव-उदार रूढ़िवादिता में समन्वय स्थापित करती है. परेशानी की बात...
More »सवा करोड़ खर्च फिर भी तीन आयोग नहीं दे सके रिपोर्ट
भोपाल। मध्यप्रदेश में वर्ष 2003 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद विभिन्न घटनाओं को लेकर गठित किए गए सात न्यायिक जांच आयोग में से तीन आयोग अनेक बार कार्यकाल बढाए जाने के बावजूद अपनी रिपोर्ट शासन को नहीं सौंप पाए हैं, जबकि इन तीन आयोगों पर सरकार का एक करोड़ 40 लाख रुपए से अधिक धन व्यय हो चुका है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, जिन आयोगों ने शासन...
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