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KYC के नाम पर हजारों गरीबों के खाते बंद, जो भी दो-चार हजार बैंक में हैं उसे भी निकालना हुआ मुश्किल

जनज्वार,  लॉकडाउन के दौरान इलाहाबाद बैंक की अहरौरा ब्रांच के सामने लंबी-लंबी कतार देखने को मिल रही है. जहां सोशल डिस्टेंसिग का नियम लागू कराने में पुलिस के पसीने छूट रहे हैं. ये लोग बैंक के टॉप मैनेजमेंट द्वारा लिए एक ऐसे फैसले से परेशान है. 23 अप्रैल को अचानक हजारों खातों को सीज कर दिया गया. बैंक का कहना था कि ट्रांजेक्शन न होने और केवाईसी न होने के चलते खाते...

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मजदूर दिवस: क्यों शासन पर भरोसा नहीं कर पाए प्रवासी मजदूर

-डाउन टू अर्थ,  मूलरूप से बिहार के पूर्णिया जिले में रहने वाले सुरेश वर्मा आठ साल पहले बेहतर जिंदगी की तलाश में औद्योगिक नगरी फरीदाबाद आए थे। शुरू में उन्होंने एक फैक्ट्री में नौकरी की लेकिन चार साल पहले फैक्ट्री में छंटनी के कारण उनकी नौकरी चली गई। नौकरी छूटते ही उन्होंने पहले मजदूरी और फिर राजमिस्त्री का काम शुरू कर दिया। लॉकडाउन ने उनका यह काम भी छीन लिया। उनके...

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कोरोना के इलाज के लिए प्लाज़्मा थेरेपी अभी परीक्षण के दौर में है: स्वास्थ्य मंत्रालय

-द वायर, स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस संक्रमण के प्लाज़्मा थेरेपी से संभावित इलाज के बारे में मंगलवार को स्पष्ट किया कि उपचार की यह पद्धति अभी प्रयोग के दौर में है और ऐसी किसी भी पद्धति को मान्यता नहीं दी गयी है. स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने नियमित संवाददाता सम्मेलन में बताया कि परीक्षण के दौर से गुजर रही प्लाज़्मा थेरेपी के बारे में अभी तक पुष्ट प्रमाण...

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"सरकार का पैसा वापस चला जाएगा"... इस अफवाह ने बढ़ा रखी है बैंकों के बाहर भीड़?

-गांव कनेक्शन,  तेज धूप के बाद एकाएक बारिश शुरु हो गई थी, लेकिन आशा देवी बैंक के बाहर लगी लाइन में खड़ी रहीं। उन्होंने अपना विड्राल फार्म पासबुक के अंदर रखकर पल्लू में छिपा लिया। आशा को न धूप से दिक्कत थी न बारिश से और ना ही भीड़ के चलते कोरोना से संक्रमित होने की आशंका, उन्हें अपने 500 रुपए की चिंता थी, जो सरकार ने उनके जनधन खाते में...

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कभी घर-घर सर्वे, कभी थोड़ी जासूसी, कभी ढोलक की थाप: कौन हैं ये गुमनाम "कोरोना वॉरियर्स", महामारी से लड़ती हुई ये दस लाख की पैदल सेना ?

-गांव कनेक्शन,  खबर पक्की थी। फोन गुपचुप आया था, "दीदी हमारे पड़ोस में बंबई से आये हैं।" उत्तर प्रदेश के अटेसुआ गाँव में शहर से वापस आये मजदूरों को कायदे से 14 दिन के लिए क्वारंटाइन होना था, लेकिन ग्राम प्रधान ने उनके तुरंत आने पर ऐसा नहीं करवाया था। गाँव की आशा कार्यकर्ता कुसुम सिंह (48) को पता था कि अगर प्रधान पर उन्होंने सीधे ऊँगली उठाई तो उनका विरोध...

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