नये बजट की चल रही तैयारियों के बीच नागरिक संगठनों ने वित्तमंत्री से मांग की है कि सामाजिक सुरक्षा के कार्यक्रमों के लिए आबंटन बढ़ाया जाय.(देखें नीचे दी गई लिंक) जनवरी माह के पहले पखवाड़े में तकरीबन 20 नागरिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने बजट-पूर्व परामर्श के तहत वित्तमंत्री अरुण जेटली से भेंट की और तुरंत बाद के अपने प्रेस सम्मेलन में समवेत रुप से ध्यान दिलाया कि अपेक्षाकृत गरीब राज्यों में...
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दुनिया में गुस्से और गैरबराबरी का नाता - एनके सिंह
दुनिया के मात्र 62 लोगों के पास विश्व के आधे लोगों की कुल संपत्ति से ज्यादा धन है। जाहिर है कि प्रकारांतर से जितना 62 लोगों के पास है, उतना शेष 350 करोड़ लोगों की कुल संपत्ति भी नहीं है। कहा तो गया था कि यह आर्थिक सुधार है, पर इन 20 सालों में फायदा मिला अमीरों को। तीन जानी-मानी आर्थिक आकलन संस्थाओं ने एक ही निष्कर्ष निकाला है कि...
More »अहम साल रहा 2015, घातक पर्यावरणीय बदलावों के लिहाज से
बीता वर्ष 2015 अब तक का सबसे गर्म साल रहा है. हालांकि, पिछले करीब एक दशक में कई वर्ष ऐसे रहे हैं, जो उस समय तक सबसे गर्म साल के रूप में आंके गये, लेकिन वर्ष 2015 को इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि क्लाइमेट चेंज के लिहाज से विशेषज्ञों ने इसे 'टिपिंग प्वाइंट' करार दिया है. क्या इंगित करता है यह टिपिंग प्वाइंट, क्यों जतायी जा रही...
More »उपलब्धियां बेमिसाल, फिर भी बाकी हैं सवाल- राजकुमार सिंह
आज हमारा गणतंत्र 66 साल का हो गया। लंबी गुलामी के बाद संघर्ष से मिली आजादी में गणतंत्र का यह सफर आसान हरगिज नहीं रहा। आजादी के साथ ही आयी विभाजन की विभीषिका से उबर कर भारत ने गणतंत्र की राह सोच-समझ कर ही चुनी थी। फिर भी अगर सफर आसान और परिणाम वांछित नहीं रहे, तो कारण विरासत में मिली जटिलताओं के साथ ही नीति-निर्धारण में दोष का भी...
More »कमाई के कंगूरे और गरीबी का गर्त- धर्मेन्द्र पाल सिंह
स्विट्जरलैंड के बर्फीले नगर दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक की पूर्व संध्या पर ब्रिटेन की संस्था ऑक्सफाम ने एक रिपोर्ट जारी की, जिससे पूरी दुनिया में हंगामा मच गया। ‘एन इकोनॉमी फॉर दी 1%' नामक इस रिपोर्ट में बताया गया है कि आज महज बासठ खरबपतियों की संपत्ति 17.6 खरब डॉलर (1187.64 खरब रुपए) है, जो विश्व की आधी आबादी की दौलत के बराबर है। एक प्रतिशत अमीरों...
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