हमने विकास का सबसे बड़ा मापदंड सकल घरेलू उत्पाद की दर को माना है। किसी भी देश की प्रगति उसकी जीडीपी के आधार पर तय की जाती है। इसमें उद्योग, सुविधाएं, रियल इस्टेट बिजनेस, सेवाएं आदि मुख्य रूप से आते हैं। सही मायने में खेती को ही जीडीपी या उत्पादन की श्रेणी में आना चाहिए, क्योंकि अन्य उत्पाद हमारी सुविधाओं से जुड़े हैं, न कि आवश्यकताओं से। विकास की मौजूदा अवधारणा...
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पूरे प्रदेश पर मानसून हुआ मेहरबान, चारों ओर झमाझम बारिश
भोपाल/होशंगाबाद। एक पखवाड़े से रूठा मानसून पूरे प्रदेश में सक्रिय हो चुका है। रविवार को इंदौर सहित कई हिस्सों में झमाझम बारिश हुई। हरदा जिले के खिरकिया में बीते 24 घंटे में नौ इंच बारिश हो चुकी है। (इंदौर में कुल औसत बारिश 34.49 इंच होती है।) बैतूल के घोड़ाडोंगरी में एक दिन में 5 इंच बारिश हुई। हरदा में मूसलधार बारिश से दो लोगों की मौत हो गई। इंदौर में...
More »ब्राजील की झुग्गियों में हुए भारत के दर्शन
भारत और ब्राजील दोनो विकासशील देश हैं और कई मामलों में दोनो देशों में कई समानताएँ हैं. ब्राज़ील के रियो दी जनेरो शहर में कोपाकबाना और इपानेमा इलाकों के बीच में स्थित है कांटागालो हिल इलाका जहां तक पहुंचने के लिए लिफ्ट है. इस झुग्गी-झोपड़ी इलाके तक पहुंचने का ये नया साधन है. यहाँ भारतीय लेखक सुकेतु मेहता भी पहुँचे. लिफ़्ट से इस इलाके का जायज़ा कर रहे मेहता कहते हैं, "अगले पांच-दस...
More »गंगा के गुनहगार- स्वामी आनंदस्वरुप
जनसत्ता 12 जुलाई, 2012: गंगा का नाम लेने मात्र से पवित्रता का बोध होता है। यह देश की एकता और अखंडता का माध्यम और भारत की जीवन रेखा के अतिरिक्त और बहुत कुछ है। गंगा जीवनदायिनी और मोक्षदायिनी दोनों है। आज भी लगभग तीस करोड़ लोगों की जीविका का माध्यम है। मगर पिछली डेढ़ सदी से गंगा पर हमले पर हमले किए जा रहे हैं और हमें जरा भी अपराध-बोध नहीं...
More »शहरीकरण खा गया छह हजार हेक्टेयर लहलहाती जमीन
जालंधर. जितनी तेजी से खेती की जमीन में कालोनियां काटी जा रही हैं, उनमें उतनी तेजी से घर नहीं बन रहे। वजह, लोग रहने के लिए नहीं, बल्कि निवेश के लिए प्लाट खरीद रहे हैं। ऐसे में खेती की जमीन लगातार कम हो रही है। पिछले सात वर्षो में जालंधर में शहरीकरण के नीचे का रकबा 24 फीसदी बढ़ गया है। लगातार कम हो रही खेती की जमीन को लेकर खेतीबाड़ी...
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