रायपुर, निप्र। शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत कम सीट दिखाकर गरीब पालकों के बच्चों का हक मारने वाले निजी स्कूल संचालकों को तगड़ा झटका लगा है। अब आरटीई में नर्सरी और पहली की कुल सीटों में से 25 फीसदी सीटें आरटीई के लिए आरक्षित करनी पड़ेगी। लिहाजा स्कूलों में आरक्षित सीटों की संख्या बढ़ने से अधिक से अधिक हितग्राही बच्चों को नि:शुल्क पढ़ने का अवसर मिलेगा। अभी तक निजी...
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आदिवासियत का पंचशील-- नसीरुद्दीन
किसी खास समाज, समूह या समुदाय को वहां के मजबूत और सत्ता पर पकड़ रखनेवाले लोग किस नजर से देखते हैं, इसे समझने का एक पैमाना यह भी हो सकता है कि ये समूह किन मुद्दों के लिए आवाज बुलंद कर रहे हैं. देश के आदिवासी इलाकों से कुछ-कुछ दिनों पर जद्दोजेहद और जल-जंगल-जमीन की हिफाजत की गूंज सुनाई देती है. ताजा गूंज झारखंड से सुनाई दे रही है. पिछले दिनों...
More »सीबीएसई ने कहा 1 जनवरी से स्कूल बने कैशलेस
नागपुर। केंद्रीय शिक्षा बोर्ड सीबीएसई ने कहा है कि 1 जनवरी से सभी स्कूल कैशलेस हों और हर तरह की फीस और अन्य खर्च डिजिटल पेमेंट के माध्यम से करें। एक छोटे से पत्र में बोर्ड सेक्रेटरी जोसेफ इमानुअल ने स्कूलों के प्रिंसिपल्स से कहा है कि इसमें स्कूलों के लिए कोई मौका नहीं रहेगा। उन्होंने पत्र में लिखा है कि स्कूलों में कैश लेन-देन कम करने के लिए सभी सीबीएसई...
More »स्थानीयता है कुंजी-- नीलम गुप्ता
जलवायु परिवर्तन, भूख, कुपोषण, बढ़ती गरीबी, घटते संसाधन, ये सभी ऐसी समस्याएं हैं जिनसे आज सारी दुनिया जूझ रही है। अरबों रुपए इन समस्याओं के हल के लिए अंतराष्ट्रीय सम्मेलनों पर खर्च किए जा चुके हैं। आगे भी किए जाएंगे। पर हल तब भी शायद ही निकले। तो क्या किया जाए? गांधी-विचारों में रची-बसी, स्वाश्रयी महिला सेवा संघ (सेवा), अमदाबाद की संस्थापक और गुजरात विद्यापीठ की चांसलर इला भट्ट के...
More »विकास की परिभाषा में बच्चे कहां!-- अनुज लुगुन
हमारा समाज एक ऐसी दिशा की ओर बेलगाम अग्रसर होता जा रहा है, जहां सब कुछ या तो बहुसंख्यक के लिए ही हो रहा है, या आवाज उठा सकनेवालों के लिए ही हिस्सेदारी बच रही है. जो मूक हैं, या मासूम हैं, उनके लिए कुछ भी नहीं बच रहा है. आज प्रकृति-जीव और बच्चे सामूहिक संहार के शिकार हो रहे हैं, क्योंकि वे अपनी भाषा मनुष्यों को समझा नहीं सकते....
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