क्रांतिकारी बदलाव का सूत्रपात कौन करता है, नेता या आंदोलन? यह सवाल कुछ वैसा ही है, जैसे कि यह पूछना कि पहले मुर्गी आई या अंडा? फिर भी महाभारत से उपग्रह संचारित मीडिया के जमाने तक यह यक्ष प्रश्न पूछा जाता रहा है। युधिष्ठिर ने तो यक्ष को यह कहकर कि नेता ही अपने समय को गढ़ता है (राजा कालस्य कारणं) छुट्टी पा ली थी, लेकिन एकछत्र राजाओं का जमाना अब नहीं रहा।...
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गरीबों की गिनती का सच : हर्ष मंदर
मानवीय अस्मिता के साथ जीवन बिताने के लिए किसी गरीब व्यक्ति को कितने पैसे की जरूरत हो सकती है? हम जिस समय में जी रहे हैं, उसमें ऐसा कभी-कभार ही होता है कि अखबारों के फ्रंट पेज और खबरिया चैनलों के प्राइम टाइम बुलेटिनों में यह सवाल सुर्खियों में आया हो। यह भी आम तौर पर नहीं होता कि इस पहेली ने मध्यवर्ग की चेतना को चुनौती दी हो। लेकिन जब...
More »पारा शिक्षकों का बेमियादी अनशन खत्म
रांची वरीय संवाददाता। नियमावली बनाने समेत अन्य मांग को लेकर पारा शिक्षकों का बेमियादी धरना-अनशन पहले दिन ही मंत्री के आश्वासन के बाद खत्म हो गया। पारा शिक्षकों ने सोमवार को मंत्री आवास के सामने अनशन-धरना पर बैठे। धरना में पहुंचे विधायक केके भगत, जगन्नाथ महतो, उमाकांत रजक ने पारा शिक्षकों की मांग को जायज बताया। वार्ता में शिक्षा मंत्री बैद्यनाथ राम ने कहा कि 12 अक्टूबर को पारा शिक्षकों के...
More »मुख्यमंत्री के वादे के बाद भी जमीन के लिए तरस रहे किसान
भोपाल। करीब एक साल पहले राजधानी में उजागर हुए 1600 एकड़ जमीन घोटाले में अब तक न तो दोषियों के खिलाफ एफआईआर हुई है और न ही रजिस्ट्री निरस्त करने की कोई कार्रवाई। मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद 169 किसानों में से किसी को भी जमीन वापस नहीं मिल सकी है। पिछले साल 13 अक्टूबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भूमि विकास बैंक द्वारा भोपाल जिले के किसानों की जमीन औने-पौने...
More »लूट से बेपरवाह- अनुपमा
2,800 करोड़ रु इधर-उधर हो गए और 4,765 करोड़ रू का कोई हिसाब नहीं. झारखंड में कैग की हालिया रिपोर्ट यह भी बता रही है कि यह सब कैसे हुआ. इसके बावजूद सरकार और उससे भी ज्यादा विपक्ष की चुप्पी हैरान करती है. अनुपमा की रिपोर्ट चारा घोटाले के वक्त बिहार में अक्सर कहा जाता था कि नेता-अधिकारी जानवरों का चारा तक डकार गए. पिछले दिनों झारखंड विधानसभा में पेश कैग रिपोर्ट के...
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