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छत्तीसगढ़ विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित हुए दो संकल्प, क्या हैं इसके मायने

डाउन टूअर्थ, 27 जुलाई  बीते रोज यानी 26 जुलाई 2022 को छत्तीसगढ़ विधानसभा की कार्यवाही कई मायनों में उल्लेखनीय रही। इस दिन जिस सक्रियता से राज्य के जंगलों, आदिवासी समुदायों, प्रकृति और उनके संरक्षण पर पक्ष और विपक्ष के सभी सदस्यों ने बहस में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, उसकी सराहना की जानी चाहिए। केवल हसदेव अरण्य से जुड़े हुए करीब 20 प्रश्नों पर चर्चा हुई। इसी दिन विधानसभा ने दो महत्वपूर्ण संकल्प भी...

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सरकारी कमेटी के नाम पर किसानों की आंख में धूल झोंकने की कोशिश

वर्कर्स यूनिटी 20 जुलाई प्रधानमंत्री ने 19 नवंबर को तीन काले कानून रद्द करते वक्त अपनी घोषणा में जिस कमेटी का वायदा किया था आखिर उसकी घोषणा हो गई है। 12 जुलाई को सरकार द्वारा बनाई गई इस समिति का नोटिफिकेशन आज सार्वजनिक हो गया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने शुरू से ही इस कमेटी को लेकर अपने संदेह सार्वजनिक किए हैं: इस कमेटी के अध्यक्ष और सदस्य कौन होंगे? कहीं इसमें सरकार...

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संयुक्त किसान मोर्चा ने एमएसपी पर सरकार द्वारा गठित समिति को फ़र्ज़ी बताकर ख़ारिज किया

द वायर, 19 जुलाई केंद्र सरकार ने सोमवार को फसलों के ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ को लेकर एक 26 सदस्यीय समिति का गठन किया था, जिसको लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि केंद्र द्वारा गठित यह समिति किसानों के क़ानूनी अधिकारों को सुनिश्चित करने की बात नहीं करती है और निरस्त किए जा चुके कृषि क़ानूनों का समर्थन करने वाले तथाकथित किसान नेता इसके सदस्य हैं. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने मंगलवार...

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सात साल में कितना बदला देश में पहले हैबिटेट राइट्स वाला बैगाचक?

मोंगाबे हिंदी, 14 जुलाई  देश में पहली बार 2015 में मध्यप्रदेश के बैगाचक के सात गांवों में वन अधिकार क़ानून के अंतर्गत पर्यावास अधिकार यानी हैबिटेट राइट्स दिए गये थे। लेकिन इस इलाके के लोगों को अब भी इसका ठीक-ठीक मतलब नहीं पता है। जिन सात गांवों को हैबिटेट राइट्स दिए गए थे, आज तक उनका एक प्रामाणिक नक्शा तक नहीं बन पाया है। देश में हैबिटेट राइटस से संबंधित दिशा-निर्देश के लिए...

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जेंडर

खास बात   साल 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल श्रमशक्ति की तादाद 40 करोड़ है जिसमें 68.37 फीसद पुरुष और 31.63 फीसद महिला कामगार हैं। @ तकरीबन 75.38%  फीसद महिला श्रमशक्ति खेती में लगी है। @ एफएओ के आकलन के मुताबिक विश्वस्तर पर होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन का 50 फीसद महिलायें उपजाती हैं। # साल 1991 की जनगणना के अनुसार 1981 से 1991 तक पुरुष खेतिहरों की संख्या में 11.67 फीसदी की बढोतरी...

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