SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 121

जो कहा, उसका उल्टा कर रहे हैं- देविन्दर शर्मा

आपने इस पर जरूर ध्यान दिया होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के पहले सौ दिन का कामकाज एक बड़ी व्यावसायिक घटना में तब्दील हो गया। संभवतः यह पहला मौका है, जब बड़े मीडिया घरानों ने देशव्यापी सर्वे के लिए मार्केटिंग एजेंसियों को नियुक्त किया। सर्वे के परिणाम अखबारों के पहले पन्ने और टीवी चैनलों पर न केवल प्रकाशित-प्रसारित किए गए, बल्कि पूरे दिन सर्वे रिपोर्टों पर चर्चा...

More »

बेलगाम महंगाई के पोषक- विकास नारायण राय

जनसत्ता 22 अगस्त, 2014 : वित्तमंत्री अरुण जेटली के अनुसार आम लोगों के लिए बवालेजान बनी महंगाई का सीधा संबंध बाजार में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति से है। भारतीय शासकों का यह जाना-माना तर्क रहा है, जो जनता को बरगलाने वाले अगले पाखंड की जमीन भी तैयार करता है। शासकों का अगला तर्क होता है कि आम लोगों की जरूरत की चीजों की आपूर्ति जमाखोरों ने रोक रखी है और...

More »

रियायत किसे और मुनाफा किसका? - विजय सिंघवी

भाजपा की राष्ट्रीय परिषद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में विकसित देशों के दबाव के आगे नहीं झुकने के अपने निर्णय को जायज ठहराया। उनका तर्क था कि हम खाद्यान्न सबसिडी में ज्यादा कटौती करते हुए देश के लाखों छोटे किसानों की आजीविका को जोखिम में नहीं डाल सकते थे। उनकी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मोदी के इस विचार का पुरजोर स्वागत किया। जहां तक...

More »

खराब मानसून में छिपे डर - अनिल पद्मनाभन

इस साल मानसून का जो हाल है, वह बहुत डराने वाला है। इससे गुजरे छह हफ्ते से जो अनिश्चितता पैदा हुई है, वह एक बुरी आशंका की ओर इशारा कर रही है। कुदरत के संकेतों को समझते हुए कुछ यह दावा कर सकते हैं कि भारतीय मौसम विभाग की औसत मानसून की भविष्यवाणी सही साबित होगी। लेकिन क्या यही सच है? अभी तक मानसून का जो हाल है, वह...

More »

कमजोर मानसून की कीमत चुकाती खेती- सुरुचि भड़वाल

अपने देश में मानसून की शुरुआत पश्चिमी और उत्तरी समुद्री तट से जून के महीने में होती है, फिर बारिश धीरे-धीरे देश के दूसरे हिस्सों में पहुंचती है। यह पूरी प्रक्रिया चार महीनों की होती है, और इस दौरान देश के अधिकतर हिस्सों में 80 फीसदी से अधिक बारिश होती है। लेकिन चूंकि सभी जगह कम दबाव का क्षेत्र एक समान नहीं बनता, इसलिए सब जगह बारिश भी एक जैसी नहीं...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close