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संविधान में गांव की परिभाषा भी नहीं- आर के नीरद

भारत के संविधान में गांव की कोई परिभाषा नहीं है. जब गांव ही नहीं है, तो ग्राम गणराज्य भी नहीं है. यह बड़ा विरोधाभास है. महात्मा गांधी गांव गणराज्य की  बात करते थे. वे आजादी का असली अर्थ गांवों की समरसता, आत्मनिर्भरता और लोकतंत्र में जन भागीदारी को मानते थे. देश आजाद हुआ और गणतंत्र भारत के लिए अपना संविधान बना, लेकिन इसमें गांव की परिकल्पना शामिल नहीं हो सकी. सब ने...

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आदिवासी विकास के दो चेहरे- अरुण कुमार त्रिपाठी

जनसत्ता 9 नवंबर, 2013 : देश के जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं उनमें से चार राज्य ऐसे हैं जिनमें आदिवासियों की खासी आबादी निवास करती है, यह बात हम राहुल बनाम मोदी की बहस में भूल जा रहे हैं। संयोग से ये चुनाव ऐसे अवसर पर हो रहे हैं जब आदिवासियों के विकास और उनके बारे में सरकार की नई नीति को लेकर बहस उठ...

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चुटका मध्यप्रदेश परमाणु विद्युत परियोजना‘‘ की जनसुनवाई स्थगितः

प्रस्तावित ‘‘चुटका मध्यप्रदेश परमाणु विद्युत परियोजना‘‘ की जनसुनवाई स्थगितः सरकार ने कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने का कारण दिया मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी पर बने विशालकाय बरगी बांध के किनारे प्रस्तावित ‘‘चुटका मध्यप्रदेश परमाणु विद्युत परियोजना‘‘ की 24 मई को होने वाली जनसुनवाई कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होने के अंदेशे के कारण जिलाधीश ने स्थगित कर दी है। इसके लिये चुटका संघर्ष समिति, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, बरगी बांध विस्थापित संघ...

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हाशिये का समाज और राज- हरिराम मीणा

जनसत्ता 11 मार्च, 2013: किसी भी राष्ट्र-समाज के उन घटकों के सम्मिलित समाज को हाशिये का समाज कहा गया है, जो अगुआ तबके की तुलना में सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक स्तर पर किन्हीं कारणों से पीछे रह गया है। इस सामान्यीकृत परिभाषा को विस्तार से समझने से पहले हाशिये शब्द पर थोड़ा विचार करना जरूरी है। किसी पृष्ठ में हस्तलेखन या टंकण करने से पूर्व शीर्ष पर और मुख्य रूप से बार्इं ओर...

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समझदारी का मोतियाबिंद

जनसत्ता 4 फरवरी, 2013: गार्गा चटर्जी इस घड़ी आशीष नंदी होना आफत को गले लगाना है। तकनीक के इस ताबड़तोड़ दौर में जहां बोले गए शब्द ध्वनि की रफ्तार को पछाड़ रहे हों, उनका अर्थ पीछे छूटता जा रहा, तो यह देख कर जरा भी अचरज नहीं होता कि साहित्य के एक समारोह में आशीष नंदी के ‘जातिसूचक’ शब्दों को कुछ विवाद प्रेमी लोग लपक लें। असल में सांप्रदायिकता के छद्म विरोध...

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