मानव जाति की मूल आवश्यकताओं की बात करें तो रोटी, कपड़ा और मकान का ही नाम आता है। इनमें रोटी सर्वोपरि है। रोटी यानी भोजन की अनिवार्यता के बीच आज विश्व के लिए शर्मनाक तस्वीर यह है कि वैश्विक आबादी का बड़ा हिस्सा अब भी भुखमरी का शिकार है। भुखमरी की इस समस्या को भारत के संदर्भ में देखें तो संयुक्त राष्ट्र द्वारा भुखमरी पर जारी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया...
More »SEARCH RESULT
जब डूबने लगेंगे तटीय शहर-- अरविन्द कुमार सिंह
जलवायु संकट की वजह से पिघलती बर्फ के कारण समुद्र का जल-स्तर इस सदी के अंत यानी वर्ष 2100 तक वैज्ञानिकों के पूर्वानुमान से दोगुने से भी ऊपर निकल जाएगा। यह चौंकाने वाली बात अमेरिका के कोलाराडो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज' में प्रकाशित शोध में कही है। वैज्ञानिकों ने वर्ष 2100 तक समुद्र का जल-स्तर तीस सेंटीमीटर बढ़ने का अनुमान लगाया था। लेकिन...
More »सिर्फ नियमों से नहीं लगेगी लगाम-- नीलंजन राजाध्यक्ष
भारतीय बैंकिंग की एक बुनियादी समस्या है, अनुचित इन्सेंटिव यानी प्रोत्साहन राशि। नीरव मोदी मामले के खुलासे के बाद हम बेशक वर्षों से कर्ज बांटने की खराब परिपाटी के कारण बैंकों की साख पर बन आए संकट पर अपना ध्यान केंद्रित करें, पर इन्सेंटिव पर भी कहीं अधिक गौर करने की जरूरत है। इस इन्सेंटिव समस्या को अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी, शॉन कोल और एस्थेर डूफ्लो ने एक शोध पत्र में बखूबी...
More »ज्ञान बांटने वालों के साथ ऐसी बेदिली-- बृंदा करात
हेमलता ने इसी जनवरी में अपने पति खेमचंद को दुखद परिस्थितियों में खो दिया। वह चांदनी चौक के एक प्राइमरी स्कूल में शिक्षक थे। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अधीन आने वाले इस स्कूल में वह 1997 से पढ़ा रहे थे। जो आखिरी सैलरी उनके हाथों में आई थी, वह 58,000 रुपये थी। खेमचंद पर अपनी विधवा मां, पत्नी हेमलता, पांच बच्चे और एक बहन का भार था। वह मूल...
More »भरोसा बरकरार रखने की चुनौती - प्रदीप सिंह
पंजाब नेशनल बैंक के घोटाले ने सरकारी बैंकों, बैंकों का ऑडिट करने वाली संस्थाओं और बैंकों के कामकाज पर निगरानी रखने वाले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की क्षमता पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। इससे यह भी साबित हुआ है कि सरकारी बैंकों में नियुक्त होने वाले निदेशक और वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधि सहित सब या तो गाफिल थे या शरीके जुर्म। वजह कुछ भी हो, वास्तविकता यही है कि...
More »