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कॉप-26: भारत में 25 गुना तक बढ़ जाएगा लू का कहर!

-न्यूजलॉन्ड्री, जी20 देशों पर जारी एक अंतरराष्ट्रीय जलवायु रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि कार्बन उत्सर्जन तेजी से बढ़ता रहा तो सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में 4 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि हो सकती है. जिसके चलते 2036 से 2065 के बीच भारत में लू का कहर कहीं ज्यादा बढ़ जाएगा. अनुमान है कि इसके सामान्य से 25 गुना अधिक समय तक रहने की आशंका है. इस रिपोर्ट को...

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क्या हमारे देश के किसान अपनी उपज एपीएमसी मंडियों में ही बेचते हैं?

जब तीन कृषि कानूनों में से एक, यानी कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 (द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020) को पिछले साल अधिनियमित किया गया था, तो इसके समर्थकों द्वारा यह तर्क दिया गया था कि कानून फसल कटाई के बाद किसानों को अपनी उपज (और व्यापारियों को उस उपज को खरीदने के लिए) को कृषि उपज मंडी समिति-एपीएमसी मंडियों...

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स्वास्थ्य की ‘जड़ें’ : हल्दी से तीन गुणा अधिक कमा रहा है यह किसान

-डाउन टू अर्थ, भारतीयों ने हल्दी की एंटीवायरल खूबियों के चलते वर्ष 2020 में इसका खासा सेवन किया, इसकी कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के दौरान इसे फायदेमंद बताया जा रहा था।  खाना पकाने में इस्तेमाल के अलावा, लोगों ने काढ़े के रूप में इसका जमकर सेवन किया। लॉकडाउन के दौरान बाजार में शुद्ध शाकाहारी हल्दी के लैटेस से लेकर चिया टरमरिक कुकीज और डिटॉक्स चाय जैसे कई उत्पाद बढ़ गए हैं। हालांकि, हल्दी...

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"अब शहादत की बारी मेरी है," लखीमपुर के मृतक किसान लवप्रीत सिंह के पिता

-कारवां, 5 अक्टूबर की सुबह उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के चौकरा फार्म इलाके में भारी पुलिस बल की तैनाती के बीच एक घर के बाहर सैकड़ों की संख्या में लोग जमा हैं. दो दिन पहले लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में जान गंवान वाले सबसे कम उम्र के 20 वर्षीय लवप्रीत सिंह के दाह संस्कार के लिए यह भीड़ जमा हुई है. तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया के पास...

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क्या हम भारतीय कृषि क्षेत्र में घटती किसानी आमदन के साक्षी हैं?

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के 77वें दौर के सर्वेक्षण पर आधारित 'ग्रामीण भारत में परिवारों की स्थिति का आकलन और परिवारों की भूमि जोत, 2019', हाल ही में जारी स्थिति आकलन सर्वेक्षण इस तथ्य को स्थापित करता है कि किसान परिवार अपनी आजीविका के लिए 'खेती-बाड़ी से शुद्ध आय' के बजाय मजदूरी पर अधिक से अधिक निर्भर हैं. मार्क्सवादी शब्दावली में, सर्वहाराकरण (एक शब्द जिसे हम निर्वासन के लिए शिथिल रूप से उपयोग कर सकते हैं) उस प्रक्रिया...

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