एनडीए सरकार का दूसरा वर्ष समाप्त होने को है। यूं तो सरकार की दिशा निर्धारित हो चुकी है। फिर भी नये वर्ष में दिशा परिवर्तन की जरूरत दिखाई पड़ती है। एनडीए के पहले कार्यकाल का विवेचन करने के पहले वर्तमान चुनौती कुछ स्पष्ट हो जाती है। वाजपेयी सरकार ने कम से कम चार महान उपलब्धियां हासिल की थीं। भारत को परमाणु शक्ति बनाया था, कारगिल युद्ध को जीता था, इनफारमेशन...
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प्रदूषण भीतरी दिल्ली में कम, बाहरी में ज्यादा
दिल्ली की सड़कों पर सन्नाटा पसरा है। ऑड-ईवेन योजना का असर शहर की सड़कों पर साफ दिख रहा है। कारों की संख्या बेहद कम दिखी लेकिन इस योजना का वैसा असर प्रदूषण के आंकड़ों पर नहीं दिख रहा। शहर के विभिन्न स्थानों पर शनिवार को हवा में प्रदूषण की मात्रा सामान्य से ढाई गुना तक अधिक पायी गयी। खासकर सीमावर्ती इलाकों में प्रदूषण में ज्यादा कमी नहीं दिख रही। सूबे...
More »सब्सिडी को कैसे करें काबू?-- वरुण गांधी
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2015-16 के लिए सार्वजनिक कर्ज की ब्याज अदायगी के लिए 4,55,145 करोड़ रुपये रखे हैं। इसमें तेल विपणन कंपनियों और फर्टीलाइजर कंपनियों के लिए दी गई विशेष प्रतिभूतियां शामिल हैं। फर्टिलाइजर कंपनियों को दी जाने वाली कुल सब्सिडी 72,968 करोड़ रुपये है, जिनमें से छठा हिस्सा आयातित यूरिया के लिए रखा गया। हमारी खाद्य सब्सिडी की कुल लागत 1,24,419 करोड़ की है, इसमें 64,919 करोड़...
More »सूचनाधिकार की सार्थकता पर सवाल-- सतीश सिंह
सूचनाधिकार यानी आरटीआइ कानून को लागू हुए पिछले अक्तूबर में दस वर्ष हो गए। इतने साल बाद यह सवाल उठना लाजिमी है कि मौजूदा समय में कहां तक आरटीआइ सार्थक है। 16 अक्तूबर को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) द्वारा आयोजित दसवें वार्षिक सम्मेलन में गिने-चुने आरटीआइ कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया, जबकि इसमें आरटीआइ की दशा और दिशा पर चर्चा होनी थी। गौरतलब है कि इन दस सालों में सीआइसी को...
More »चेन्नई बाढ़ : एक मानव निर्मित त्रासदी
चेन्नई की बाढ़ जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों का एक भयावह उदाहरण तो है ही, इससे हुई तबाही ने मानव समाज की खतरनाक गलतियों के नतीजों को भी रेखांकित किया है. हाल के वर्षों में उत्तराखंड, कश्मीर समेत देश के विभिन्न इलाकों में बाढ़ की त्रासदी का कहर लगातार बढ़ा है. तेज शहरीकरण और विकास की आपाधापी में सरकार और समाज प्राकृतिक तंत्रों को बेतहाशा बरबाद कर रहे हैं. नदियां...
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