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उत्तर प्रदेश: खेत में हादसा हुआ तो किसान, उसका परिवार और बटाईदार मुआवजे के हकदार

उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने किसानों के लिए दुर्घटना बीमा योजना में अहम बदलाव किए हैं। अब किसान के अलावा उसके परिजनों और बटाईदार को भी मुआवजे का हकदार माना गया है। मुआवजा तुरंत और सीधे किसानों के खाते में आए, इसके लिए भी नियमों को बदला गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता वाली प्रदेश कैबिनेट ने मंगलवार को किसानों पर केंद्रित सामाजिक सुरक्षा की सबसे बड़ी योजना को मंजूरी दी।...

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ताकि मिले बढ़ती आबादी का फायदा- प्रो.सुरेश शर्मा

देश-दुनिया की तमाम सरकारों और नीति-निर्माताओं के लिए आज यह याद करने का दिन है कि जनसंख्या और उससे जुड़े मसलों का हल उनकी विकास-नीतियों के मूल में होना चाहिए। भारतीय संदर्भ में देखें, तो 1920 के दशक तक हमारे हिस्से में अत्यधिक जन्म-दर और मृत्यु-दर रही है, पर उसके बाद से इसमें लगातार गिरावट देखी गई। जन्म-दर, मृत्यु-दर और जनसंख्या वृद्धि का परस्पर संबंध किसी देश की जनसंख्या का...

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ग्रामीण संकट: आठ सालों में पिछले साल मनरेगा के तहत नौकरियों की सबसे अधिक मांग रही

नई दिल्ली: मोदी सरकार के पिछले साल के आंकड़े दिखाते हैं कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत नौकरियों की मांग में बढ़ोतरी हुई है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2018-19 में 2017-18 की तुलना में काम की मांग में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. इसके साथ ही साल 2018-19 में साल 2010-11 के बाद से इस योजना के तहत व्यक्ति कार्य दिवस की सबसे अधिक संख्या दर्ज...

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समाज को हिंसक होने से रोकिए-- कुमार प्रशांत

मुझे यह जानने में कोई दिलचस्पी नहीं है कि अलीगढ़ में अखिल भारत हिंदू महासभा के जिन लोगों ने 30 जनवरी, 2019 को महात्मा गांधी को ‘सामने खड़ा करके░' फिर से गोली मारने का कुत्सित खेल खेला, वे कौन थे, उनकी गिरफ्तारी हुई या नहीं अौर गिरफ्तारी नहीं हुई, तो क्यों नहीं हुई? कोई मुझसे पूछे, तो मैं बार-बार यह कहने को तैयार हूं कि न तो उनकी गिरफ्तारी होनी...

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क्यों सरकारी योजनाओं के बावजूद झारखंड की आदिम जनजातियों को खाने की किल्लत से दो-चार होना पड़ता है- विवेक कुमार

झारखंड के लातेहार ज़िले के मनिका प्रखंड के सेवधरा गांव के अमरेश परहैया अपने परिवार के साथ में विभिन्न मूलभूत सुविधाओं से दूर अपना जीवन बिता रहे है. परिवार की आय का मुख्य स्रोत अकुशल मज़दूरी है. इनके पास खेती योग्य भूमि नही हैं. अमरेश को मुश्किल से एक महीने में 8 से 10 दिन ही 150 रुपये/प्रतिदिन की मज़दूरी दर पर काम मिल पाता है. अनाज की कमी और आर्थिक...

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