चुनाव आते ही अगर सभी दलों और सचेत लोगों को महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व का मसला याद आने लगता है, तो यह महिलाओं के प्रति उनके अनुराग या देश में महिलावादी आंदोलन का जोर बढ़ने का नतीजा नहीं है. अभी तक महिलाओं का अपना आंदोलन शहरों को छोड़ कर कहीं नहीं गया है. असल में इसका कारण हाल के चुनावों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी है. बीते दो-ढाई दशक में अगर...
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स्त्री सशक्तीकरण और महिला बैंक
जनसत्ता 21 नवंबर, 2013 : किसी गंभीर समस्या और उसके समाधान को प्रतीक तक सीमित कर देने की ताजा मिसाल भारतीय महिला बैंक है। यूपीए सरकार ने उषा अनंतसुब्रमण्यम को भारतीय महिला बैंक की प्रबंध निदेशक नियुक्त किया और शुरुआती पूंजी के तौर पर बैंक के लिए एक हजार करोड़ रुपए की रकम मंजूर की है। दो रोज पहले इस बैंक ने काम करना शुरू कर दिया, जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह...
More »आज खुलेगा देश का पहला महिला बैंक, रांची की अरुणा भी
नयी दिल्ली : चुनाव आयोग ने देश में पूरी तरह से महिलाओं के लिए समर्पित भारतीय महिला बैंक शुरू करने की अनुमति दे दी है, लेकिन साथ ही उसने सरकार को इसकी शाखाएं दिल्ली और मध्य प्रदेश में नहीं खोलने को कहा है. वित्त मंत्रालय को भेजे एक पत्र में आयोग ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बैंक खोलने संबंधी किसी भी तरह का प्रचार-प्रसार इन राज्यों में न किया...
More »एक साल में 8 लाख लोगों को मिलेगा रोजगार
केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग राज्य मंत्री केएच मुनियप्पा ने कहा कि इस वित्त वर्ष में केंद्र सरकार देश भर में 8 लाख लोगों को रोजगार देगी। हर जिले से करीब 100-100 तकनीकी स्किल्ड छात्रां को चिह्नित किया जाएगा और योग्यता का आकलन करने के बाद उन्हें प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत रोजगार उपलब्ध करवाया जाएगा। मुनीयप्पा ने कहा कि इसके लिए इन युवाओं को बैंकों से सब्सिडी के साथ लोन भी...
More »लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने वाले- तवलीन सिंह
राहुल गांधी के कहने पर सरकार ने अपना अध्यादेश वापस ले लिया पिछले सप्ताह। जिस दिन से राहुल जी ने अध्यादेश के खिलाफ आवाज उठाई, उस दिन से ही तय हो गया कि ऐसा होना ही था, लेकिन ऐसा लगने लगा है मुझे कि दिल्ली में बैठे कई वरिष्ठ राजनीतिक पंडितों को अपनी 'बकवास' पर विश्वास होने लगा है। सो अध्यादेश के वापस लिए जाने के अगले दिन अखबारों की सुर्खियों...
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