कोल्हापुर का नाम कोल्हापुरी जूतियों के लिए जाना जाता है. व्यापारी जगत में यह चीनी की मिलों के लिए भी मशहूर है. फिल्मों में रुचि रखने वाले इसे पद्मिनी कोल्हापुरी के नाम से भी पहचानते हैं. लेकिन महाराष्ट्र के कोल्हापुर नाम का यह जिला अब जन-भागीदारी के अनूठे प्रयास के लिए समूचे देश में एक नयी मिसाल कायम कर रहा है. एचआइवी के खिलाफ जंग में विभिन्न समुदायों ने मिलकर यहां ऐसे प्रयासों...
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अब निरक्षर महिलाओं को भी मिलेगा टैबलेट
पटना : ग्रामीण क्षेत्र में रहनेवाली सभी महिलाओं को राज्य सरकार टैबलेट देगी. चाहे महिला निरक्षर हो या साक्षर. टैबलेट का उपयोग कैसे किया जायेगा, इसके लिए प्रशिक्षण दिया जायेगा. सूचना एवं प्रावैधिकी विभाग ने इसका प्रस्ताव योजना प्राधिकृत समिति को दिया है. समिति से सहमति मिलने के बाद राज्य की तीन करोड़ महिलाओं को टैबलेट दिया जायेगा. इस योजना में 7525 करोड़ रुपये खर्च होंगे. हर ग्रामीण परिवार की एक महिला...
More »मिड-डे मील योजना में सुधार का वक्त
इस महीने की शुरुआत में आयी एक खबर चौंकानेवाली थी. इसमें कहा गया था दिल्ली के 80 फीसदी परिवार यह नहीं चाहते कि उनके बच्चे स्कूलों में दिया जा रहा मध्याह्न् भोजन खाएं. एक अंगरेजी अखबार द्वारा कराये गये सर्वेक्षण में 99 फीसदी बच्चों ने कहा था कि वे स्कूलों में उपलब्ध कराये जा रहे भोजन से संतुष्ट नहीं हैं. इस सर्वे के परिणाम वास्तव में हमारे देश में महान इरादों...
More »अभिशाप बना खनन-उद्योग- पी जोसेफ
राज्य के बंटवारे के बाद कहा जा रहा था कि बिहार राज्य में राजस्व का कोई स्रोत नहीं बचा. सभी खनन क्षेत्र झारखंड में जाने के कारण बिहार आर्थिक बदहाली में पहुंच जायेगा, पर ऐसा नहीं हुआ. बिहार में मात्र बालू एवं पत्थर से खनन क्षेत्र में लगभग झारखंड राज्य के जितना ही राजस्व आ रहे हैं. दूसरी तरफ, झारखंड की अर्थव्यवस्था की रीढ़ समझे जानेवाले इस उद्योग को उचित...
More »आदिवासी विकास के दो चेहरे- अरुण कुमार त्रिपाठी
जनसत्ता 9 नवंबर, 2013 : देश के जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं उनमें से चार राज्य ऐसे हैं जिनमें आदिवासियों की खासी आबादी निवास करती है, यह बात हम राहुल बनाम मोदी की बहस में भूल जा रहे हैं। संयोग से ये चुनाव ऐसे अवसर पर हो रहे हैं जब आदिवासियों के विकास और उनके बारे में सरकार की नई नीति को लेकर बहस उठ...
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