एक बेहतरीन संपादक सेना के कमांडर की तरह होता है। उसकी नियुक्ति भले ही उसके चमत्कृत करने वाले निजी कौशल से संभव हुई हो, पर उसके बाद उसकी निजी बौद्धिक क्षमता से कहीं अधिक महत्व उसकी कुशल रणनीति और सैन्य-संचालन क्षमता का बन जाता है। हमारे संविधान ने सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी का समान हक दिया है, जिनमें मीडियाकर्मी भी शामिल हैं। उनके लिए (अमेरिका की तरह) अतिरिक्त आजादी का...
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मल्टी ब्रांड रिटेल में 51% FDI पर कैबिनेट की मंजूरी
सरकार ने एक बड़ा फैसला करते हुए बहुब्रांड खुदरा कारोबार में 51 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को गुरुवार को मंजूरी दे दी। इससे दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में वालमार्ट जैसी बड़ी कंपनियों के मेगा स्टोर खुलने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस आशय का फैसला सहयोगी दल तणमूल कांग्रेस के विरोध के बावजूद...
More »महंगाई की आग- परंजय गुहाठाकुरता
महंगाई की समस्या आज विकराल होती जा रही है, तो इसके लिए सरकार और उसकी नीतियां ही जिम्मेदार हैं। हमारे अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री का लोहा दुनिया मानती है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा तक कह चुके हैं कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी से बाहर निकालने में मनमोहन सिंह की आर्थिक नीतियां मददगार साबित हो सकती हैं। लेकिन विडंबना देखिए कि वही मनमोहन सिंह अपनी अर्थव्यवस्था को मंदी के भंवर से बाहर निकालने में...
More »पशुधन का कुपोषण से क्या रिश्ता है ?
हम जानते हैं कि कुपोषण का बोझ देश के जमीर और जेब दोनों पर भारी है।हम यह भी जानते हैं कि बाल-कुपोषण से छुटकारा पाना बड़े साहस और धैर्य की मांग करता है। लेकिन कुपोषण से छुटकारा पाने की स्थिति में जो आर्थिक फायदे होंगे- क्या हमें उन फायदों के बारे में पता है? एफएओ की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक भारत बाल-कुपोषण को खत्म करके अपनी आय में 28 अरब अमेरिकी डॉलर का इजाफा कर सकता है।यह बड़े आर्थिक...
More »न्यूनतम समर्थन मूल्यों का संदेश- सुधीर पंवार
पिछले दिनों केंद्र्र सरकार ने कृषि लागत और मूल्य आयोग की अनुशंसाओं के आधार पर 2011-12 के लिए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों की घोषणा की। इस घोषणा में थोड़ी देरी अवश्य हुई है, पर किसानों के पास अब भी पर्याप्त समय है कि वे इन मूल्यों के आधार पर फसलों की बुवाई का निर्णय ले सकें। वर्तमान में कृषि उत्पादों की आवश्यकता एवं उत्पादन में गंभीर असंतुलन की वजह...
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