ओएमएसएस में आवंटित 85 लाख टन में से सिर्फ 19 लाख टन गेहूं की बिक्री खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत केंद्रीय पूल से गेहूं की बिक्री बढ़ाने पर विचार किया जायेगा। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार की अध्यक्षता में गठित मंत्रियों के समूह (ईजीओएम) की 18 दिसंबर को प्रस्तावित बैठक में इस आशय पर चर्चा की जायेगी। ओएमएसएस के तहत केंद्रीय पूल से...
More »SEARCH RESULT
एक साल में कितना बदला देश- मनीषा प्रियम
एक साल पहले दिल्ली में सामूहिक बलात्कार की एक ऐसी घटना हुई थी, जिसने देश-दुनिया को झकझोर दिया था। तब से अब तक यह देश कई राजनीतिक-सामाजिक बदलावों का गवाह रहा है। ‘बिटिया’ के बलिदान ने ऐसा मंच तैयार किया, जहां देश की राजनीति और उसके निजी एवं बाह्य अंतर्विरोधों पर खुलकर बहस हुई है। वह एक अमानवीय और हृदय विदारक घटना थी। लेकिन उस घटना ने देश में परिवर्तन...
More »कहां चूक गये हम ? - श्रीश चौधरी
आजादी के 66 वर्षो बाद भी शिक्षा जैसे बुनियादी विषय पर समाज की ऐसी दयनीय स्थिति चिंता व खेद का कारण है. हमारी गरीबी, हमारा पिछड़ापन, शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में हमारे उत्साह एवं प्रयास के अभाव का ही परिणाम है. स्वतंत्रता के बाद ही ऐसे कदम उठाये जाने चाहिए थे, ऐसी नीतियां बननी चाहिए थीं, जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सर्वव्यापी बनाते. परंतु वैसा नहीं हुआ. परिणाम सामने है - जिस समाज की...
More »अभिशाप बना खनन-उद्योग- पी जोसेफ
राज्य के बंटवारे के बाद कहा जा रहा था कि बिहार राज्य में राजस्व का कोई स्रोत नहीं बचा. सभी खनन क्षेत्र झारखंड में जाने के कारण बिहार आर्थिक बदहाली में पहुंच जायेगा, पर ऐसा नहीं हुआ. बिहार में मात्र बालू एवं पत्थर से खनन क्षेत्र में लगभग झारखंड राज्य के जितना ही राजस्व आ रहे हैं. दूसरी तरफ, झारखंड की अर्थव्यवस्था की रीढ़ समझे जानेवाले इस उद्योग को उचित...
More »आदिवासी विकास के दो चेहरे- अरुण कुमार त्रिपाठी
जनसत्ता 9 नवंबर, 2013 : देश के जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं उनमें से चार राज्य ऐसे हैं जिनमें आदिवासियों की खासी आबादी निवास करती है, यह बात हम राहुल बनाम मोदी की बहस में भूल जा रहे हैं। संयोग से ये चुनाव ऐसे अवसर पर हो रहे हैं जब आदिवासियों के विकास और उनके बारे में सरकार की नई नीति को लेकर बहस उठ...
More »