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COP26: जलवायु के दुश्मन धरती को बचने देंगे?

-जनपथ, आगामी 31 दिसंबर से ग्लासगो (ग्रेट ब्रिटेन) में COP26 विश्व पर्यावरण सम्मेलन हो रहा है। इसमें चीन को छोड़कर दुनिया के अधिकतर राजप्रमुख शामिल हो रहे हैं। इसे दुनिया को बचाने का आखि‍री मौका माना जा रहा है। उद्घाटन भाषण में ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सरकारों के अलावा कॉरपोरेट जगत को भी सहयोग करने की अपील की। दुनिया में बढ़ते प्रदूषण को लेकर यह छब्बीसवां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन...

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एनसीबी पर सवाल उठ रहे हैं लेकिन इस समस्या का एक पार्ट एनडीपीएस एक्ट भी है

-न्यूजलॉन्ड्री, स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा अपने मुंबई मंडलीय निदेशक समीर वानखेड़े के खिलाफ गड़बड़ी के आरोपों की सतर्कता जांच के आदेश के बाद, एजेंसी के आचरण पर सवाल उठ रहे हैं. लेकिन मशहूर हस्तियों से जुड़े मामलों के कारण एनसीबी के सुर्खियों में आने से बहुत पहले, संसद में इस बारे में चिंताएं उठाई गई थीं कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां स्वापक औषधि और मन प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम को किस प्रकार लागू करेंगी. 29...

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भारत के नए जलवायु लक्ष्य: साहसिक, महत्वाकांक्षी और दुनिया के लिए चुनौतीपूर्ण

-डाउन टू अर्थ, 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन (नेट जीरो एमिशन)  हासिल करने की भारत की प्रतिबद्धता से यह साफ है कि बातें बहुत हो चुकी हैं, अब तेजी से काम शुरू कर देना चाहिए। कॉप 26 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक रणनीति की घोषणा की - जिसे उन्होंने पंचामृत कहा है- इसमें शामिल है:   भारत 2030 तक अपनी गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता 500 गीगावाट...

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खून और स्याही

-द कारवां, वह मेरे जीवन का सबसे वीभत्स दृश्य था. दिल्ली पुलिस के सब्जी मंडी स्थित मुर्दाघर में मैंने जो मंजर देखा वह ऐसा था कि मेरे साथी पत्रकार दीपांकर डे सरकार उल्टियां करने लगे थे. वह 1 नवंबर 1984 का दिन था और इंदिरा गांधी को उनके सिख सुरक्षागार्डों द्वारा गोली मारे जाने के 24 घंटे हुए थे. भयानक हिंसा में निर्दोष सिखों को निशाना बनाया जा रहा था. यह मध्यकालीन न्याय...

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क्या फसल बीमा से भारतीय किसानों को मदद मिली है? अधिकांश को समय पर भुगतान भी नहीं मिलता

-द प्रिंट, हर तरह के व्यवसाय में जोखिम उठाना शामिल होता है, लेकिन भारत में सिंचाई की कम उपलब्धता को देखते हुए खेती स्वाभाविक रूप से अधिक जोखिम भरा हो जाता है, क्योंकि यह इसे मौसमी परिस्थितियों में बदलाव, खास तौर पर बारिश जो या तो सूखे या फिर बाढ़ का कारण बनती है, के प्रति बहुत संवेदनशील बनाती है. 2015-16 में केवल 49 प्रतिशत कृषि भूमि ही सिंचाई के अधीन थी और...

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