झारखंड में मलेरिया का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. मच्छरों के काटने से होनेवाली इस बीमार से आज भी झारखंड के लोग ग्रसित हैं. वर्ष 2015 में स्वास्थ्य विभाग को हर दिन 286 मलेरिया के मरीज मिल रहे थे. पूरे वर्ष में कुल एक लाख चार हजार 450 मलेरिया प्रभावित मरीजों की पहचान की गयी. मलेरिया से 2015 में नौ लोगों की मौत हुई है. हालांकि...
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'दस साल में और बहुत सारी विधवाएं देखेंगे'- सौतिक बिस्वास
महाराष्ट्र के वाशीम ज़िले के एक गांव में रहने वाले किसान मुकुंदा वाघ ने 2009 में पहली बार कीटनाशक पीकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी. जब वो बेहोश होकर गिर गए और उनके मुंह से झाग निकलने लगा तो उनकी पत्नी ने उन्हें देखा और अस्पताल ले गईं. उस वक़्त अस्पताल में डॉक्टरों ने उनकी जान बचा ली. लेकिन तीन साल के बाद मई 2012 में क़िस्मत ने उनका साथ नहीं...
More »अब नजर नहीं आतीं नन्हीं गौरैया, संरक्षण के लिए नहीं उठे कदम
कभी हमारे घरों को अपनी चीं..चीं से चहकाने वाली गौरैया अब नजर नहीं आतीं हैं। करीब 10 सालों से यह घरेलू पक्षी शहर से विलुप्त हो चुकी है। गांवों की तरफ भी कभी- कभार चहचहाहट सुनाई पड़ती है। घरों की बदलती डिजाइन, इलेक्ट्रिक पंखे समेत कई ऐसे कारण हैं जो नन्हीं गौरैया को बेदखल करने के लिए जिम्मेदार है। वन विभाग ने भी कभी इनके संरक्षण की दिशा में ठोस...
More »स्टिंग, नेता और पैसा-- अनुज कुमार सिन्हा
पश्चिम बंगाल में एक स्टिंग ऑपरेशन में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के तीन मंत्री और तीन सांसदों को पैसा लेते हुए दिखाया गया है. वहां विधानसभा चुनाव हो रहे हैं और ऐसे मौके पर इस स्टिंग ने टीएमसी के लिए नयी मुसीबत खड़ी कर दी है. टीएमसी के नेता भले ही यह दावा करते रहें कि चुनाव के वक्त यह विरोधियों की चाल है और चुनाव को प्रभावित करने के...
More »छद्म नायकों के इस दौर में-- अनुपम त्रिवेदी
विगत दिनों दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुई घटना ने न केवल एक बड़ी बहस को जन्म दिया, बल्कि कुछ छद्म नायकों का भी सृजन किया. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में देश-विरोध और विभाजन के स्वर उठे. बहस बजाय इस पर होने के कि ऐसी आवाजें क्यों उठीं और इनके पीछे क्या मंतव्य है, बहस का दायरा दोषी कौन है और कौन नहीं पर सिमट गया. जिस आजादी...
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