वेतन लाखों में हो गये. लेकिन वेतन बढ़ने से वास्तविक उत्पादन या आय पर क्या असर हुआ, इसे जांचने का कोई विश्वसनीय मेकेनिज्म नहीं है. अमेरिका के डेट्रायट शहर में यही हुआ. पेंशन का बोझ बढ़ता गया. रिटायर लोगों की पेंशन, नये नियुक्त लोगों की तनख्वाह से कई गुना अधिक. ऊपर से शहर की सरकार ने बाहर से कर्ज लेना जारी रखा. कर्ज अगर भोग-विलास के लिए लिया जाये, तो दुर्दशा...
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खाद्य सुरक्षा से दूर होगी कुपोषण की समस्या
डॉ राजवीर शर्मा आइएआरआइ पूसा इंस्टीटयूट में बतौर प्रिंसिपल साइंटिस्ट(एग्रोनॉमी-ब्रीड कंट्रोल) कार्यरत हैं. पेश है खाद्य सुरक्षा और किसानों की समस्या पर पंचायतनामा के लिए संतोष कुमार सिंह से विशेष बातचीत : सरकार का दावा है कि खाद्य सुरक्षा कानून गरीबों के लिए है, इस लिहाज से मात्र 67 फीसदी लोगों को इसके दायरे में रखा गया है? इसका क्या मतलब हुआ क्या यह माना जाये कि देश में 67 फीसदी गरीब...
More »जो अन्न उपजाता है वही भूखा रह जाता है : देविंदर शर्मा
खाद्य सुरक्षा विधेयक का विरोध दो कारणों से हो रहा है. एक राजनीतिक और दूसरा कॉरपोरेट घरानों या उनके समर्थक अर्थशास्त्रियों की ओर से. उनका कहना है कि खाद्यान्न सुरक्षा पर हर साल एक लाख 25 हज़ार करोड़ रुपये खर्च होगा. इससे घाटा बढ़ेगा इसलिए इसकी कोई ज़रूरत नहीं है. खाद्यान्न सुरक्षा पर हर साल एक लाख 25 हज़ार करोड़ रु पए ख़र्च होने पर एतराज़ जताया जा रहा है....
More »चुनाव से पहले रौशन होंगे गांव
नई दिल्ली, [जयप्रकाश रंजन]। आगामी आम चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार गांव वालों को लुभाने के लिए एक और दांव खेलने जा रही है। जनता को सीधे हाथों में सब्सिडी और खाद्य सुरक्षा देने के बाद अब गांवों में ज्यादा से ज्यादा बिजली देने की तैयारी है। खास तौर पर गांवों में गरीबों के घरों को रौशन करने पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। इसके लिए राजीव गांधी ग्रामीण...
More »हर गांव बनेगा निर्मल, मिलेगी लाखों की मदद
नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। ग्रामीण क्षेत्रों में कूड़े-कचरे के प्रबंधन व निपटान के लिए सरकार ने पहली बार नायाब पहल करते हुए हर गांव को एकमुश्त वित्तीय मदद देने का फैसला किया है। आबादी के हिसाब से हर गांव को न्यूनतम सात लाख और अधिकतम 20 लाख रुपये की वित्तीय मदद मुहैया कराई जाएगी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति [सीसीईए]...
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